युगप्रवर्तक दयानन्द सरस्वती ने दिया था 'वेदों की ओर लौट चलो' का नारा: राज्यपाल शुक्ल

युगप्रवर्तक दयानन्द सरस्वती ने दिया था 'वेदों की ओर लौट चलो' का नारा: राज्यपाल शुक्ल
WhatsApp Channel Join Now
युगप्रवर्तक दयानन्द सरस्वती ने दिया था 'वेदों की ओर लौट चलो' का नारा: राज्यपाल शुक्ल


महर्षि दयानन्द की 200वीं जयन्ती पर त्रिदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी हुई

शिमला, 9 मई (हि.स.)। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा है कि महर्षि दयानन्द एक युगप्रवर्तक महापुरुष थे, जिन्होंने समग्र क्रान्ति का सूत्रपात कर ‘वेदों की ओर लौट चलो’ का नारा दिया। स्वामीजी ने वैदिक संस्कृति, धर्म व दर्शन की रक्षा के लिए वैदिक सन्देश का प्रचार किया तथा वैदिक धर्म में आयी विकृतियों को दूर करने का ठोस प्रयास किए।

राज्यपाल गुरुवार को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला की ओर से महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयन्ती के उपलक्ष्य पर आयोजित त्रिदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारम्भ मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द एक युगप्रवर्तक महापुरुष थे, जिन्होंने समग्र क्रान्ति का सूत्रपात कर ‘वेदों की ओर लौट चलो’’ का नारा दिया। उन्होंने कहा कि स्वामीजी ने वैदिक संस्कृति, धर्म व दर्शन की रक्षा के लिए वैदिक सन्देश का प्रचार किया तथा वैदिक धर्म में आयी विकृतियों को दूर करने का ठोस प्रयास किए। उन्होंने समाज सुधार की दिशा में अनेक कार्य किए जिनमें जाति प्रथा एवं छुआछूत को दूर कर दलितोद्धार का कार्य, बाल विवाह एवं सती प्रथा का विरोध तथा विधवा विवाह का समर्थन आदि शामिल है। उन्होंने कहा कि पहली बार वेदों का लोकभाषा में अनुवाद कराने का श्रेय स्वामी दयानन्द को ही जाता है।

उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द ने नारी जागरण का उद्घोष किया एवं स्त्री-शिक्षा के लिए अथक प्रयास किये। अनेक कन्या गुरुकुलों एवं महिला महाविद्यालयों की स्थापना इसी का परिणाम है। वैदिक संस्कृति की रक्षार्थ स्वामी ने बहुविध प्रयास किये। उनकी लिखी गईं अनेक पुस्तकेंए जिनमें संस्कार विधि, ‘‘गोकरुणानिधि’’ और सत्यार्थ प्रकाश शामिल है, समाज को दिशा देने मे सहायक सिद्ध हुई।

राज्यपाल ने कहा कि मौजूदा परिप्रेक्ष्य में भारती संस्कृति को वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार देखने और समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया की अग्रिम पंक्ति में लाने के लिए हमें अपनी गौरवपूर्ण संस्कृति पर गर्व करना होगा।

राज्यपाल शुक्ल ने कहा कि उनकी वेदभाष्य पद्धति ने वेद-व्याख्या की भावी दिशा निर्धारित की। उन्होंने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित किया। आज पूरे देश में हजारों गुरुकुल चल रहे हैं, जहां से निकले विद्यार्थियों ने विश्व में वैदिक संस्कृति की रक्षा और देश का नाम ऊँचा किया है।

हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल

/सुनील

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story