हिमालय बचाना है तो जल जंगल को बचाना होगा : राज्यपाल शुक्ला

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हिमालय बचाना है तो जल जंगल को बचाना होगा : राज्यपाल शुक्ला


हिमालय बचाना है तो जल जंगल को बचाना होगा : राज्यपाल शुक्ला


हिमालय बचाना है तो जल जंगल को बचाना होगा : राज्यपाल शुक्ला


कुल्लू, 05 मार्च (हि.स.)। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने मंगलवार को कुल्लू के मोहल स्थित गोविंद वल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रक्रियाएं एवं आजीविका, विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि समूचे हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण के दृष्टिगत इस संस्थान की अहम भूमिका है।

उन्होंने कहा इसके अलावा, वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने, एकीकृत प्रबंधन रणनीतियों को विकसित करने तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए यह संस्थान मुख्य एजेंसी के रूप में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान सामाजिक सांस्कृतिक, पारिस्थितिक, आर्थिक और भौतिक प्रणालियों के बीच जटिल संबंधों का संतुलन बनाए रखने का प्रयास कर रहा है जिससे हिमालयी क्षेत्र में स्थिरता आ सकती है।

उन्होंने कहा कि अनुसंधान व विकास कार्यक्रमों में प्राकृतिक व सामाजिक विज्ञानों को जोड़ने का कार्य चल रहा है।उन्होंने कहा कि हिमाचल ने गत वर्ष प्राकृतिक आपदा का जो आघात झेला है वह अकल्पनीय है। क्या यह प्राकृतिक है? इस पर अनुसंधान की आवश्यकता है। पहाड़ी क्षेत्र में विकास किस प्रकार हो इस पर गहन विचार करने पर बल दिया।

राज्यपाल ने नदियों के किनारे भवन निर्माण पर चिंता व्यक्त की तथा पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रक्रिया और टिकाऊ अजीविका मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें हिमालय बचाना है तो इसके लिए जल व जंगल को बचाना होगा, तभी हिमालय बचेगा व पर्यावरण बचेगा।

उन्होंने हमें भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार वॄक्ष लगाने की सतत विकास के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण संरक्षण आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आयोजकों से तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन में दिये शोध वक्तव्यों पर रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश व केंद्र सरकार को भेजने को कहा ताकि यहां से निकले निष्कर्षों पर विचार पहल की जा सके ।

राज्यपाल ने इस दौरान संस्थान के दो प्रकाशनों का विमोचन किया। इस से पहले राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने संस्थान के अतिथि गृह व सभागार का उद्धघाटन किया।

इस अवसर पर मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर ने अपने विचार रखे तथा संस्थान को प्रदेश की नदियों विशेषकर ब्यास व पार्वती नदियों पर शोध करने का सुझाव दिया, ताकि इन नदियों से बाढ़ से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए पग उठाये जा सकें ।

हिन्दुस्थान समाचार / जसपाल

/सुनील

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