लाहुल स्पीति में लोसर त्यौहार की धूम
कुल्लू, 10 फरवरी (हि. स.)। देवभूमि कुल्लू घाटी सहित लाहौल घाटी के पट्टन चंबा के पांगी तक फागली (लोसर) का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है । यह त्यौहार लाहौल सहित किन्नौर ब बौद्ध धर्म के अनुयाई लगभग एक महीना और कुल्लू घाटी में एक सप्ताह तक चलता है। इस साल किन्नौर, लाहौल, तिब्बती इस त्यौहार को एक साथ मना रहे हैं। बौद्ध धर्म के कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार मनाया जाता है। इस के ठीक 15 दिन पहले घाटी में खोगल उत्सव मनाया जाता है।
कुछ सालों के बाद यह त्यौहार सभी बौद्ध धर्मों को एक साथ मनाने को मिलता है। इस दिन लोग अपने - अपने ईष्ट देवता की पूजा आलियांन करते हैं। यह त्योहार नए साल में घाटी में अच्छी फसल की कामना के लिए करते हैं ।
इस त्यौहार के खत्म होते ही लोग अपने अपने खेत खलियान में नई फसल की बुआई करते है। फागली में जन जातीय लोग अपने से बड़ों को ध्रुव फूल दे कर सम्मानित करते हैं और बड़े बुजुर्गों को ध्रुव और फूल देकर उन से आशीर्वाद लेते है तथा एक घर से दूसरे के घर जाकर धुव्र दी जाती है। जिस भी घर में मेहमान आता है उस की खातिरदारी देसी व्यंजनों के साथ और माथे पर देसी घी का तिलक लगा कर की जाती है। एक घर से दूसरे घर नाचते गाते ही जाया जाता है।
आज के दिन फागली उत्सव पर पूरी कुल्लू घाटी के लाहुल और बोध समुदाय के घर पारंपरिक व्यंजनों की महक से सराबोर होते हैं। पारंपरिक व्यंजनों में मारछू,सत्तू की पीनी जो विशेष तौर से देवता को प्रसाद के रूप में भोग लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त कई तरह के व्यंजन मेहमानों को परोसे जाते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / जसपाल
/सुनील
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