हिमाचल प्रदेश में छह नशामुक्ति और पुर्नवास केंद्र संचालित

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हिमाचल प्रदेश में छह नशामुक्ति और पुर्नवास केंद्र संचालित


शिमला, 7 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में छह नशामुक्ति और पुर्नवास केंद्र संचालित हैं। इनमें कुल्लू, हमीरपुर और ऊना में तीन नशीले पदार्थों के दुरूपयोग के पीड़ितों के लिए एकीकृत पुनर्वास केन्द्र, शिमला में एक समुदाय आधारित पीयर लेड इंटरवेंशन केन्द्र, कांगड़ा में एक जिला नशा मुक्ति केन्द्र और सरकारी अस्पताल कुल्लू में एक केंद्र स्थापित है। इन केंद्रों में उपचार सुविधाओं के लिए सरकारी की ओर से निधियां प्रदान की गई हैं। राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने संसद के बजट सत्र में पूछे गए सवाल के जवाब में केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय देश में नशीले पदार्थों की मांग को कम करने के लिए नोडल मंत्रालय है। इस मंत्रालय ने नशे से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश सहित देश में नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार कर उसे लागू कर रहा है। नशा मुक्ति के लिए एक टोल फ्री हेल्पलाइन 14446 स्थापित की गई है जिसके माध्यम से लोगों को प्राथमिक परामर्श और तत्काल रेफरल सेवाएं प्रदान की जाती है और आज तक हिमाचल प्रदेश से 1391 कॉल प्राप्त हुई हैं।

हिमाचल प्रदेश में 5.31 लाख लोग लेते हैं अल्कोहल

केन्द्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि वर्ष 2018 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा नेशनल ड्रग डिपेन्डेंस ट्रीटमेंट सेंटर, एम्स के माध्यम से भारत में नशीले पदार्थों की मात्रा और पैटर्न पर व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया है जिसमें हिमाचल प्रदेश में विभिन्न मादक पदार्थों के दुरूपयोगकर्ताओं की अनुमानित संख्या का ब्योरा लिया गया है। सर्वेक्षण में सामने आया है कि हिमाचल में 18 से 75 वर्ष की आयु के 5.31 लाख लोग अल्कोहल लेते हैं। इसके अलावा 1.88 लाख लोग कैनबिस, 3.04 लाख लोग ओपियोइड, 1.18 लाख लोग शामक, 1.53 लाख लोग इनहेलेंट, दो हजार लोग कोकीन और एक हजार लोग एडीएस का सेवन करते हैं।

बी.एल. वर्मा ने बताया कि केन्द्र सरकार ने नवचेतना मॉडयूल और शिक्षक प्रशिक्षण मॉडयूल विकसित किए है ताकि छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को नशीले पदार्थों पर निर्भरता, इससे निपटने की कार्यनीतियों और जीवन कौशल के बारे में जागरूक किया जा सके। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान शुरू किया गया था और अब इसे हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों सहित देश के सभी जिलों में लागू किया जा रहा है। इस अभियान का उदेश्य उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों और स्कूलों में इस पर निर्भर आबादी की पहचान करने, अस्पतालों और पुनर्वास केंद्रों में परामर्श और उपचार सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करने और सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रमो पर ध्यान कंेद्रित करने के साथ नशीले पदार्थों के सेवन के बारे में जागरूकता फैलाना है।

डॉ. सिकंदर ने कहा कि समाज में बढ़ते नशे के कारण भारत का भविष्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और इस समस्या से निपटने के लिए हम सबको सरकार के साथ मिलकर प्रयास करने होंगे।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा / सुनील शुक्ला

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