एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल,मंडी में किया धरना प्रदर्शन

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एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल,मंडी में किया धरना प्रदर्शन


मंडी, 26 दिसंबर (हि.स.)। सीटू से सबंधित एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन ने अपनी मांगों के लिए गत रात्रि 12 बजे से शनिवार रात तक दो दिन की हड़ताल के आह्वान पर मंडी ज़िला के 169 एंबुलेंस कर्मचारी भी हड़ताल पर हैं जिस कारण मंडी ज़िला के 28 लोकेशनों की 50 एंबुलेंस व बाईक सुविधा उपलब्ध नहीं हो रही है। हड़ताली कर्मचारियों जिनमें ड्राइवर और ईएमटी शामिल हैं ने ज़िला मुख्यालय मंडी में एकत्रित होकर प्रदर्शन किया और शहर में रैली निकाली।दो दिन की हड़ताल मंडी ज़िला में सौ प्रतिशत कामयाब रही। मंडी में हुए प्रदर्शन का नेतृत्व यूनियन केज़िला प्रधान सुमित कपूर महासचिव पंकज कुमार,संतोष कुमारी, ममता शर्मा, रजनी, तिलक राज, योगेश कुमार, चमन लाल,मनोज कुमार, रजनीश, हंस राज व सीटू के ज़िला प्रधान भूपेंद्र सिंह व राजेश शर्मा ने किया।यूनियन व सीटू पदाधिकारियों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 108और 102 एंबुलेंस कर्मचारी जो नेशनल हेल्थ मिशन में मेडस्वान फाउंडेशन कंपनी द्धारा वर्ष 2022 में नियुक्त किए हैं जो पूरे प्रदेश में तरेह सौ हैं। उससे पहले ये सभी कर्मचारी जीवीके कंपनी ने 2010 में नियुक्त किए थे लेकिन उस कंपनी द्वारा इन्हें छंटनी भत्ता, ग्रेतुअति व अन्य भत्ते भी नहीं दिए हैं और स्वास्थ्य मिशन मूक दर्शक बना हुआ है। लेकिन इनका नियोक्ता कम्पनी द्धारा लंबे समय से शोषण किया जा रहा है।ईंन कर्मचारियों को निर्धारित न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है और इनसे 12 घंटे डयूटी करवाई जाती है लेकिन उसका ओवरटाईम कंपनी अदा नहीं करती है।हिमाचल हाईकोर्ट, लेबर कोर्ट, सीजीएम कोर्ट शिमला व श्रम कार्यालय के आदेशों के बाबजूद इनका शोषण जारी है।यही नहीं जब कभी मज़दूर यूनियन के माध्यम से अपनी मांगो के लिए आवाज़ उठाते हैं तो उन्हें मानसिक रूप में प्रताड़ित किया जाता है। कर्मचारियों ने पहले भी दो बार एक एक दिन की हड़ताल की जा चुकी है लेकिन उसके बाद भी कंपनी ने न्यूनतम वेतन औऱ ओवरटाईम अदा नहीं किया है।इसलिए इस बार दो दिन की हड़ताल की जा रही है।सीटू ज़िला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने कहा कि यदि कंपनी द्धारा इन्हें सरकारी नियमानुसार वेतन, ओवरटाईम, सभी प्रकार की छुटियां, गाड़ी की मेंटीनेंस, इंसोरेंस और कर्मचारियों की बीमारी के दौरान पूरा वेतन देने, हाईकोर्ट व श्रम विभाग के आदेशों,यूनियन नेताओं की प्रताड़ना की नीति को नहीं बदला तो यूनियन को अनिशिचतकालीन हड़ताल का निर्णय लेना पड़ेगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार व कंपनी की होगी।उन्होंने राज्य सरकार द्वारा हड़ताल को कुचलने के लिए लगाए एएसमा क़ानून के निर्णय की भी कड़ी निंदा की और चेतावनी दी कि यदि किसी कर्मचारी को इसके बहाने प्रताड़ित किया गया तो यूनियन उसका कड़ा विरोध करेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

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