शिमला जिले में सात साल से एससी-एसटी के 40 मामले लंबित

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शिमला जिले में सात साल से एससी-एसटी के 40 मामले लंबित


शिमला, 30 दिसंबर (हि.स.)। शिमला जिले में अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत पिछले सात वर्षों से 40 मामले न्यायालयों में लंबित हैं। इन मामलों की स्थिति और जांच प्रक्रिया की समीक्षा के लिए मंगलवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से जिला स्तरीय सतर्कता एवं प्रबोधन समिति की बैठक आयोजित की गई।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को सामाजिक सुरक्षा देना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि समाज में वास्तविक समानता लाने के लिए केवल नीतियां बनाना ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक और प्रभावी प्रयास करना जरूरी है।

उपायुक्त ने बताया कि अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार कानून के तहत दर्ज मामलों में बरी होने की दर काफी अधिक है। इसके पीछे के कारणों को समझने के लिए सभी मामलों का गहराई से अध्ययन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन के आधार पर भविष्य में नई और बेहतर रणनीतियां तैयार की जाएंगी, ताकि ऐसे मामलों को मजबूत आधार पर आगे बढ़ाया जा सके और पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके।

उन्होंने कहा कि प्रशासन का उद्देश्य जिले में विकास को सभी वर्गों तक समान रूप से पहुंचाना है, ताकि किसी के साथ भेदभाव न हो। उपायुक्त ने यह भी कहा कि जिला पुलिस के सभी जांच अधिकारियों के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यशाला में मामलों की जांच और प्रोसेसिंग को बेहतर बनाने को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा।

उपायुक्त ने चिंता जताई कि पुलिस में दर्ज कई मामले अदालत में साबित नहीं हो पा रहे हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है और पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में जांच की गुणवत्ता में सुधार बेहद जरूरी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

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