हिमाचल में चिट्टे के ख़िलाफ़ अभियान चलाएंगी सात जिलों की 17 संस्थाएं
शिमला, 09 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में बढ़ते नशे विशेषकर चिट्टा की समस्या के खिलाफ अब समाज भी मजबूत रूप से खड़ा हो रहा है। राज्य में जहां सरकार और विपक्ष दोनों नशे के खिलाफ एकस्वर में बोल रहे हैं, वहीं कई समाजसेवी संस्थाएं भी इस लड़ाई को जन आंदोलन का रूप देने में जुट गई हैं। इसी उद्देश्य के तहत प्रदेश के सात जिलों में सक्रिय कुल 17 स्वयंसेवी संस्थाएं ‘संजीवनी – ए ग्रुप ऑफ NGO’S’ नाम से एक मंच पर एकत्र हुई हैं, जो जल्द ही प्रदेश-व्यापी जागरूकता अभियान शुरू करेंगी।
शिमला में मंगलवार को आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान संजीवनी संस्था के अध्यक्ष महेंद्र धर्मानी ने बताया कि चिट्टा के विरुद्ध एक विशाल और दीर्घकालिक अभियान की रूपरेखा तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि संस्था ने हाल ही में शिमला में एक कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने चिट्टा मुक्त अभियान पर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। उन्हीं सुझावों के आधार पर इन संस्थाओं ने संयुक्त रूप से आगे की रणनीति तैयार की है।
धर्मानी ने कहा कि अब हर जिले में बड़े स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और स्थानीय समूहों, सामाजिक संगठनों और युवाओं को जोड़कर नशामुक्ति अभियान को जन आंदोलन बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हालिया चर्चाओं में यह बात सामने आई है कि सरकार, प्रशासन और सामाजिक संगठनों द्वारा अलग-अलग स्तर पर प्रयास तो किए जा रहे हैं, लेकिन आपसी समन्वय की कमी और कुछ विभागों द्वारा समय पर कदम न उठाने से यह संघर्ष कमजोर पड़ जाता है।
उन्होंने दावा किया कि आज समाज को नशे के खतरे को लेकर बड़े पैमाने पर जागरूक करने की जरूरत है और इसमें स्वयंसेवी संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। धर्मानी ने कहा कि सरकार और प्रशासन को भी इस अभियान में और अधिक मजबूती से सहयोग देना होगा तभी प्रदेश को चिट्टा मुक्त बनाने का लक्ष्य पूरा किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि अभियान के तहत जल्द ही सभी जिलों में सक्रिय कार्यक्रमों की शुरुआत की जाएगी जिसमें युवाओं, अभिभावकों, शिक्षकों तथा समाज के विभिन्न वर्गों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

