हिमाचल कैबिनेट के फैसले: स्वास्थ्य-शिक्षा विभागों में 1600 नई नौकरियां, 100 सरकारी स्कूलों में सीबीएसई लागू

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हिमाचल कैबिनेट के फैसले: स्वास्थ्य-शिक्षा विभागों में 1600 नई नौकरियां, 100 सरकारी स्कूलों में सीबीएसई लागू


शिमला, 30 दिसंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में मंगलवार को राज्य सचिवालय में हुई हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े कई बड़े फैसले लिए। कैबिनेट के निर्णयों में युवाओं के लिए बड़ी संख्या में नए सरकारी पद सृजित करने और सार्वजनिक सेवाओं को मजबूत करने को प्राथमिकता दी गई है। लगभग 1600 नए पदों को भरने की मंजूरी दी गई।

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से मंत्रिमंडल ने राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में 53 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों सहित विभिन्न श्रेणियों के 121 पद भरने को मंजूरी दी। इनमें टीचिंग, नॉन-टीचिंग फैकल्टी और पैरामेडिकल स्टाफ के पद शामिल हैं। इसके अलावा असिस्टेंट स्टाफ नर्सिंग पॉलिसी के तहत हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग हमीरपुर के माध्यम से 600 असिस्टेंट स्टाफ नर्स के नए पद सृजित किए जाएंगे। बैठक में डीएम और एमएस डिग्रीधारी फैकल्टी डॉक्टरों को बेसिक वेतन का 20 प्रतिशत इंसेंटिव देने का भी निर्णय लिया गया।

उन्होंने कहा कि युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से जल शक्ति विभाग में जॉब ट्रेनी और जूनियर इंजीनियर (सिविल) के 40 रिक्त पद भरने, ग्रामीण विकास विभाग में सीधे भर्ती से 10 खंड विकास अधिकारी नियुक्त करने और शिक्षा विभाग में अनुकंपा आधार पर 28 आश्रितों को नौकरी देने को भी मंजूरी दी गई।

प्रवक्ता के अनुसार शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा फैसला लेते हुए कैबिनेट ने राज्य के 100 सरकारी स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया। सीबीएसई के सभी मानकों को पूरा करने के लिए शिक्षा विभाग को 100 करोड़ रुपये जारी करने की मंजूरी दी गई है। सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 से इन स्कूलों में सीबीएसई की कक्षाएं शुरू करना है। इन स्कूलों के लिए गणित के 400 और अंग्रेजी के 400 नए शिक्षक पद सृजित किए जाएंगे। इसके अलावा प्रत्येक स्कूल में एक विशेष शिक्षक, एक योग शिक्षक, एक चौकीदार और तीन मल्टी टास्क वर्कर रखने का भी फैसला किया गया है। कैबिनेट ने इन स्कूलों के लिए अलग सब-कैडर बनाने को भी मंजूरी दी है, ताकि भर्ती, प्रशिक्षण और प्रदर्शन मूल्यांकन स्पष्ट रूप से तय किया जा सके।

उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के दायरे को और बढ़ाया गया है। अब धर्मशाला के टोंग-लेन स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों और ऐसे बच्चों को भी योजना में शामिल किया जाएगा, जिनके माता-पिता में से एक या दोनों की दिव्यांगता 70 प्रतिशत या उससे अधिक है। इसके साथ ही उन बच्चों को भी योजना का लाभ मिलेगा, जिनके एक माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है और दूसरे ने उन्हें छोड़ दिया है।

प्रवक्ता ने कहा कि कैबिनेट ने औद्योगिक विकास और शहरी विस्तार के तहत शीतलपुर में हिमाचल और चंडीगढ़ की सीमा पर एक विश्वस्तरीय टाउनशिप और बद्दी में नई टाउनशिप विकसित करने को मंजूरी दी है। रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और विवादों के त्वरित निपटारे के लिए हिमाचल प्रदेश रियल एस्टेट नियमों में संशोधन का भी फैसला किया गया।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पशुपालकों के हित में मंत्रिमंडल ने हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में चरवाहों के लिए लचीली आजीविका परियोजना को मंजूरी दी। इस परियोजना का उद्देश्य चरवाहों की आजीविका मजबूत करना, पारंपरिक पशुपालन को आधुनिक बनाना और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना है। इसके तहत चरवाहों और उनके पशुओं की आवाजाही के लिए नया कानून लाया जाएगा।

प्रवक्ता ने कहा कि दुग्ध क्षेत्र को मजबूत करने के लिए मिल्कफेड और राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड के सहयोग से नाहन, नालागढ़, मोहाल और रोहड़ू में दूध प्रसंस्करण संयंत्र, जलाड़ी में मिल्क चिलिंग सेंटर और झलेड़ा में बल्क मिल्क कूलर स्थापित किए जाएंगे। किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए मिल्कफेड को 60 करोड़ रुपये की कैश क्रेडिट लिमिट देने और दूध उपकर के लिए अलग खाता खोलने का भी निर्णय लिया गया।

इसके अलावा कैबिनेट ने भूमि संरक्षण अधिनियम में संशोधन, छोटे दुकानदारों को ऋण राहत, पिछड़ा वर्ग आयोग का मुख्यालय धर्मशाला स्थानांतरित करने, कांगड़ा के इंदौरा में नशा मुक्ति केंद्र खोलने और आपदा प्रबंधन के लिए 892 करोड़ रुपये की परियोजना को भी मंजूरी दी।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

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