पत्रकारिता, साहित्य एवं संगीत-कला के क्षेत्र की चार विभूतियां होगी सम्मानित
मंडी, 22 दिसंबर (हि.स.)। प्रखर पत्रकार, साहित्य एवं कला मर्मज्ञ दिवंगत हेमकांत कात्यायन की स्मृति में हेमकांत मेमोरियल ट्रस्ट मंडी की ओर से पत्रकारिता , साहित्य, संगीत-कला के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त विभूतियों को सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान स्व. हेमकांत कात्यायन के 83वें जन्म-जयंती वर्ष के अवसर पर 25 दिसंबर को आयोजित होने वाले आदरांजलि 2025 समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा।
मंडी में पत्रकारों से बात करते हुए स्व. हेमकांत कात्यायन के पुत्र एवं समारोह के संयोजक सिद्धार्थ कात्यायन ने बताया कि ट्रस्ट की अध्यक्ष निर्मला कात्यायन की अध्यक्षता में पुरस्कार चयन समिति ने इस वर्ष के हेमकांत कात्यायन स्मृति पत्रकारिता प्रेरणा पुरस्कार हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार पंडित कृष्ण भानु का नाम चयन किया है। वहीं साहित्य सेवा पुरस्कार वरिष्ठ एवं व्योवृद्ध साहित्यकार कृष्ण कुमार नूतन को दिया जा रहा है। जबकि संगीत कला पुरस्कार स्व. पियूष स्वामी को मरणोंपरांत तथा उनके शिष्य एवं संगीत सदन के वर्तमान संचालक उमेश भारद्वाज को दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि पत्रकारिता प्रेरणा पुरस्कार प्राप्त करने वाले पंडित कृष्ण भानु हिमाचल की पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर रहे हैं। मंडी के बैहना गांव में जन्मे कृष्ण भानु ने प्रदेश की राजधानी शिमला में पत्रकारिता का नया अध्याय शुरू किया।
उसी प्रकार हिंदी फिल्म गीत गाया पत्थरों ने से मशहूर हुए कृष्ण कुमार नूतन ने कुछ समय मायानगरी में भी गुजारा, जहां पर गुरूदत्त, बलराज साहनी, रामानंद सागर, गीतकार गुलजार आदि महान हस्तियों के साथ कार्य करने का मौका मिला। उसी प्रकार 26 अप्रैल, 1941 को मंडी नगर में जन्में पियूष स्वामी ने प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद से एम.ए. संगीत की शिक्षा प्राप्त करने के बाद में जिला उपायुक्त, मंडी के कार्यालय में नौकरी करते हुए सुपरिटैन्डैंट के पद से सेवानिवृत हुए। उन्होंने मंडी नगर में विधिवत संगीत प्रशिक्षण के लिए संगीत सदन की नींव रखी।
गायन में स्नातकोत्तर, सितार और तबला में स्नातक की उपाधि प्राप्त उमेश का जीवन शुरू से ही संगीत साधना को समर्पित रहा है। उमेश के पिता जी गज़ल व कव्वाली गायन से जुड़े थे। तबला वादन के लिए उनसे ही प्रोत्साहन मिला। उमेश भारद्वाज ने संगीत सदन, मंडी में पियूष स्वामी के शिष्य के रूप में ने दीक्षा आरंभ की थी। इन्होंने वर्ष 1999 से गुरुजी के सहायक के रूप में काम शुरू किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

