वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे, भाजपा प्रदेशभर में करेगी कार्यक्रमों का आयोजन : विपिन परमार
शिमला, 04 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारतीय जनता पार्टी प्रदेशभर में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। स्वतंत्रता संग्राम में इस गीत की ऐतिहासिक भूमिका और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक स्वरूप को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार और भाजपा संगठन द्वारा देशभर में जनभागीदारी वाले उत्सव आयोजित किए जा रहे हैं।
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और विधायक विपिन सिंह परमार ने मंगलवार को शिमला में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि ‘वंदे मातरम्’ केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस गीत के 150 वर्ष पूरे होना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है और इसे प्रत्येक स्कूल की दैनिक प्रार्थना का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। भाजपा 7 नवम्बर को सुबह 11 बजे प्रदेश के हर संसदीय क्षेत्र में वंदे मातरम् का सामूहिक गान करेगी। शिमला में यह कार्यक्रम अंबेडकर चौक पर, कांगड़ा में विधानसभा परिसर में, मंडी में कल्लू और हमीरपुर में विशेष समारोहों में आयोजित होगा।
विपिन परमार ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रवाद, एकता और मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने मुस्लिम लीग को खुश करने के लिए इस गीत को पूर्ण रूप से लागू नहीं होने दिया। परमार ने कहा कि 1937 में कांग्रेस कार्य समिति ने निर्णय लिया कि मूल रूप से पाँच छंदों वाले इस गीत के केवल पहले दो छंद ही गाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि 1923 के काकीनाडा अधिवेशन में जब पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर को ‘वंदे मातरम्’ गाने के लिए आमंत्रित किया गया था, तो उस समय कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद अली ने धार्मिक आधार पर इसका विरोध किया था।
परमार ने कहा कि कांग्रेस ने जिस तरह इस गीत के कई अंशों को हटाया, वह उसकी राष्ट्रविरोधी मानसिकता को दर्शाता है। अंग्रेज जो काम नहीं कर पाए, कांग्रेस ने वही किया।
भाजपा नेता ने कहा कि केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर, 2025 को निर्णय लिया है कि ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर देशभर में भव्य उत्सव आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि यह गीत वर्ष 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने रचा था और 1896 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कोलकाता में इसका प्रसिद्ध वाचन किया था। 1905 में बंगाल विभाजन के समय यह गीत राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख प्रतीक बन गया।
विपिन परमार ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ स्वदेशी आंदोलन और आज़ादी की लड़ाई का प्रेरक नारा रहा। बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, भगत सिंह और सुभाषचंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों ने इसे अपनी प्रेरणा बनाया। ब्रिटिश सरकार ने इसके प्रभाव से भयभीत होकर इस गीत के प्रयोग पर प्रतिबंध भी लगाया था। 1950 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

