हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर गुरु की गोलक के दुरुपयोग का आरोप, प्रधान तुरंत दें इस्तीफा
- धर्म प्रचार, शिक्षा और गुरुद्वारा प्रबंधन में विफलता, शताब्दी और बाढ़ राहत फंड को लेकर गंभीर आरोप
चंडीगढ़, 18 दिसंबर (हि.स.)। हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एचएसजीएमसी) में कथित भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितताओं और प्रशासनिक विफलताओं को लेकर खुला टकराव सामने आ गया है। कमेटी के प्रधान जगदीश सिंह झींडा पर गुरु की गोलक के फंडों के दुरुपयोग, गुरुद्वारों के प्रबंध को चौपट करने और धर्म प्रचार व शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों को लेकर कमेटी के पदाधिकारियों और सदस्यों ने गुरुवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधान झींडा से तुरंत इस्तीफे की मांग की।
इस अवसर पर जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल (चेयरमैन, धर्म प्रचार समिति), गुरमीत सिंह रामसर (सीनियर वाइस प्रेसिडेंट), गुरबीर सिंह तलाकौर (जूनियर वाइस प्रेसिडेंट), जगतार सिंह मान (अन्तरिम सदस्य), तजिंदरपाल सिंह नारनौल (अन्तरिम सदस्य), सीनियर सदस्य दीदार सिंह नलवी, राजिंदर सिंह बराड़ा (सदस्य), गुरतेज सिंह अंबाला (सदस्य), मेयर भूपिंदर सिंह पानीपत (सदस्य), स्वर्ण सिंह बुंगा टिब्बी (सदस्य), सरपंच भूपिंदर सिंह लाडी सौंकड़ा (सदस्य प्रतिनिधि – बीबी कपूर कौर सौंकड़ा), भूपिंदर सिंह सैनी (सदस्य प्रतिनिधि), कैप्टन दिलबाग सिंह सैनी तथा सुखविंदर सिंह मंडेबर (पूर्व जनरल सेक्रेटरी) उपस्थित थे।सभी पदाधिकारियों व सदस्यों ने कहा कि प्रधान बनते समय जगदीश सिंह झींडा द्वारा की गई कोई भी घोषणा पूरी नहीं हुई। यूनिवर्सिटी स्कूल खोलने, सिरोपा न देने, गुरुद्वारा गाड़ियों के निजी उपयोग, कर्मचारियों से दुर्व्यवहार और वीआईपी संस्कृति खत्म करने जैसे वादे खोखले साबित हुए। आरोप है कि आज स्थिति उलट है, पतित लोगों को केसरिया सिरोपा बांटा जा रहा है, कमेटी की गाड़ियां व कर्मचारी निजी इस्तेमाल में हैं, काला दिवस और बाढ़ राहत के नाम पर गोलक व फंडों का दुरुपयोग हुआ और 350 साला समारोह में भारी वित्तीय अनियमितताएं की गईं। पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि ईमानदारी से काम करने वाले, लेकिन पसंद न आने वाले कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जा रहा है। निजी रंजिश के चलते तबादले किए जा रहे हैं और कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से फंडों का दुरुपयोग हो रहा है। शिक्षा क्षेत्र में नर्सिंग कॉलेज और तिलोकेवाला स्कूल में मनमाने तबादलों से पूरा तंत्र चरमरा गया है।
कमेटी सदस्यों ने आरोप लगाया कि जगदीश सिंह झींडा तानाशाही रवैया अपना रहे हैं। अब तक 2 जनरल हाउस और 3 एग्जीक्यूटिव मीटिंगें विफल रहीं और वह ऐसे पहले प्रधान हैं जिन्होंने अपना ही बजट फेल करवाया। पूर्व सहयोगी भूपिंदर सिंह लाडी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों पर भी आज तक कोई जवाब नहीं दिया गया। सदस्यों ने कहा कि गुरुद्वारा चुनाव और ज्यूडिशियल कमीशन निष्प्रभावी साबित हो रहे हैं। झींडा का चुनाव गुरुद्वारा एक्ट 2014 के खिलाफ बताते हुए इसे चुनाव आयुक्त के समक्ष चुनौती दी गई, लेकिन आठ माह बाद भी न्याय नहीं मिला। ज्यूडिशियल कमिश्नर के तबादलों पर रोक और मासिक हिसाब देने के आदेशों की अवहेलना की गई, जबकि फंड उपयोग की कथित गैरकानूनी अनुमति से कमीशन–प्रधान की मिलीभगत उजागर होती है।
सदस्यों ने सरकार से मांग की कि दोनों कमिश्नरों को तुरंत हटाकर न्यायप्रिय और निष्पक्ष कमिश्नरों की नियुक्ति की जाए। सदस्यों ने चेतावनी दी कि यदि झींडा ने तुरंत गुरुद्वारा फंडों का दुरुपयोग बंद नहीं किया, तो इस राशि की भरपाई उन्हें और उनके गलत साथ देने वाले कर्मचारियों को अपनी जेब से करनी पड़ेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा

