हरियाणा के बच्चों को चंडीगढ़ के स्कूलों में दाखिले पर बढ़ा विवाद

हरियाणा के बच्चों को चंडीगढ़ के स्कूलों में दाखिले पर बढ़ा विवाद
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हरियाणा के बच्चों को चंडीगढ़ के स्कूलों में दाखिले पर बढ़ा विवाद


विधानसभा स्पीकर ने प्रशासक को पत्र लिखकर फैसला वापस लेने की उठाई मांग

चंडीगढ़, 20 नवंबर (हि.स.)। चंडीगढ़ प्रशासन के पंचकूला के बच्चों को स्कूलों में दाखिले न देने के मामले को लेकर चंडीगढ़ व हरियाणा के बीच नया विवाद शुरू हो गया है। पंजाब पहले ही चंडीगढ़ फैसले का विरोध कर रहा है। हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने चंडीगढ़ के प्रशासक एवं पंजाब के राज्यपाल को पत्र लिखकर इस मामले में फैसला लेने की अपील की है।

चंडीगढ़ प्रशासन के स्कूलों में इस साल नर्सरी कक्षाओं में दाखिले के दौरान पंचकूला व मोहाली के बच्चों को दाखिला नहीं दिया जा रहा है। चंडीगढ़ हरियाणा व पंजाब की राजधानी है। इसके अलावा मोहाली, चंडीगढ़ व पंचकूला को ट्राईसिटी के रूप में चिन्हित किया गया है। इन तीनों शहरों का फोन एसटीडी कोड भी एक ही है। इसके अलावा तीनों शहरों की हर मामले में आपस में कनेक्टीविटी है।

चंडीगढ़ प्रशासन ने शिक्षा सत्र 2024-25 के लिए पंचकूला के बच्चों को दाखिला देने से इनकार कर दिया गया है, जिसे लेकर हजारों की संख्या में लोग परेशान हो रहे हैं। सोमवार को हरियाणा विधानसभा के स्पीकर एवं पंचकूला के विधायक ज्ञान चंद गुप्ता ने चंडीगढ़ के प्रशासन बनवारी लाल पुरोहित को पत्र लिखकर शिक्षा विभाग की अधिसूचना पर आपत्ति जताई है। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि चंडीगढ़ शिक्षा विभाग का यह निर्णय शिक्षा के अधिकार के पूरी तरह से विपरीत है। शिक्षा के अधिकार को क्षेत्रों में नहीं बांटा जाना चाहिए। इससे पंचकूला एवं मोहाली के मासूम बच्चों के शिक्षा के अधिकार का हनन होगा।

उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का हवाला देते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरे देश में एक शिक्षा नीति लागू कर रहे हैं। चंडीगढ़ शिक्षा विभाग का यह निर्णय प्रधानमंत्री की इस पहल के भी विपरीत है। उन्होंने पत्र में लिखा कि पंचकूला, चंडीगढ़ एवं मोहाली एक प्रकार से स्टेट कैपिटल रीजन (एससीआर) है। हरियाणा एवं पंजाब की राजधानी होने के नाते चंडीगढ़ पर दोनों राज्यों का अधिकार है। इस प्रकार के निर्णय लेने से पहले बच्चों के भविष्य को लेकर भी संवेदनशीलता के साथ विचार किया जाना चाहिए था। उन्होंने यह निर्णय निरस्त करने की मांग की है।

हिन्दुस्थान समाचार/संजीव/सुनील

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