सिरसा: सांसद कुमारी सैलजा ने घग्घर नदी में बढ़ते प्रदूषण पर जताई चिंता
एनजीपी अध्यक्ष, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री और केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री को लिखा पत्र
सिरसा,26 जून (हि.स.)। सांसद कुमारी सैलजा ने बुधवार को घग्घर नदी के तटबंधों को दौरा किया। उन्होने कहा की जो सिरसा के सैंकड़ों गांवों की जीवन रेखा है लेकिन पिछले डेढ़ दशक से और हाल ही में घग्गर का उपयोग सभी प्रकार के प्रदूषकों को प्रवाहित करने के लिए किया जा रहा है।
ये प्रदूषक फैक्ट्री अपशिष्ट और खतरनाक रसायन शामिल हैं, जो कैंसरकारी, उपचारित और अनुपचारित सीवेज आदि हो सकते हैं। सिरसा में पड़ने वाले घग्गर के क्षेत्र में इन प्रदूषकों के प्रवाह में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है, जो बहुत ही अप्रिय और तीखी दुर्गंध भी उत्सर्जित कर रहे हैं, जिससे मनुष्यों और दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा होने के अलावा घग्गर के आसपास रहने वालों का जीवन बहुत दयनीय हो गया है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि इस दिशा में उचित कदम उठाते हुए नदी के जल को प्रदूषित होने से बचाया जाए ओर जल को प्रदूषित करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
गौरतलब हो कि पिछले दिनों कुमारी सैलजा जब रानियां क्षेत्र के दौर पर थीं तो ओटू हैड़ पर रूककर उन्होंने किसानों से मुलाकात की थी। तब किसानों ने घग्घर नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर अपनी चिंताएं उनके समक्ष रखी थी। नवनिर्वाचित सांसद ने उन्हें आश्वासन दिया था कि सबसे पहला काम घग्घर नदी को लेकर ही करेंगी। उन्होंने न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) अध्यक्ष, सी.आर पाटिल केंद्रीय मंत्री - जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार और भूपेंद्र यादव, केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री को पत्र लिखकर घग्घर नदी को लेकर किसानों की चिंताओं से अवगत कराते हुए कहा है कि घग्गर नदी जो शिवालिक पहाडिय़ों से निकलती है और हिमाचल, यूटी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की एक विशाल लंबाई से होकर गुजरती है। यह सिरसा के सैकड़ों गांवों की जीवन रेखा है। इसे अकसर पवित्र नदी सरस्वती से भी जोड़ा जाता है।
बरसात में घग्घर नदी की बाढ़ बरपाती है कहर
उन्होंने कहा कि घग्गर बरसाती नदी है, पहाड़ों में जब अधिक बारिश होती है तो इसमें पानी आता है और यह हरियाणा-पंजाब से होते हुए राजस्थान तक पहुंचती है। बारिश के मौसम में कई बार ज्यादा पानी आने के कारण बाढ़ के भी हालात बन जाते हैं। पिछले वर्ष आई भीषण बाढ़ से एक ओर जहां जन जीवन प्रभावित हुआ था वहां हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई थी। बरसात के बाद यह नदी सूख जाती है तब ही इसका सफाई कराने और तटबंध मजबूत करवाए जा सकते हैं पर सरकार ऐसा कुछ नहीं करती, सरकार प्यास लगने पर कुआं खोदने का प्रयास करती है।
हिन्दुस्थान समाचार/रमेश/संजीव
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