एनसीईआरटी की छठी कक्षा की पाठ्यपुस्तक में सरस्वती सिंधु सभ्यता शामिल

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एनसीईआरटी की छठी कक्षा की पाठ्यपुस्तक में सरस्वती सिंधु सभ्यता शामिल


छठी कक्षा में पढ़ाया जाएगा द बिगनिंग आफ इंडियन सिविलाइजेशन का एक चैप्टर

चंडीगढ़, 23 जुलाई (हि.स.)। देश की प्राचीनतम पवित्र नदी सरस्वती के इतिहास से युवा पीढ़ी रूबरू होगी। प्राचीन ऋग्वेद ग्रंथ के बाद अब सरस्वती की गाथा एनसीईआरटी की किताबों में पढ़ी जाएगी। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने सरस्वती नदी के इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल किया है।

हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धुम्मन सिंह किरमिच ने मंगलवार काे बताया कि बोर्ड के प्रयास रंग लाए हैं। जिस तरह से हरियाणा बोर्ड की किताबों में सरस्वती नदी के ऐतिहासिक व पौराणिक व वैज्ञानिक आधार पर सरस्वती बोर्ड द्वारा प्रयास किए गए एवं जो सरस्वती के किनारे पनपी सभ्यताएं जिसमें आदि बद्री से लेकर कुरुक्षेत्र राखीगढ़ी, कालीबंगा, बनावली, हड़प्पा मोहनजोदड़ो राजस्थान में कालीबंगा व गुजरात में धोलावीरा एवं लोथल के बारे में बताया गया। उन्हाेंने बताया कि एनसीईआरटी ने छठी कक्षा में सामाजिक विज्ञान की नई पाठ्यपुस्तक में सरस्वती सिंधु सभ्यता को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। द बिगनिंग आफ इंडियन सिविलाइजेशन भारतीय सभ्यता का का एक चैप्टर एनसीईआरटी की छठी किताब में पढ़ाया जाएगा इससे पहले एससीईआरटी की दसवीं कक्षा में सरस्वती सिंधु सभ्यता नाम से एक पूरा पाठ्यक्रम शामिल किया गया है। पाठ्यक्रम में हड़प्पा सभ्यता में सरस्वती नदी को घग्गर-हाकरा नदी का नाम दिया गया है। भारत में इसे घग्गर एवं पाकिस्तान में हकरा कहा जाता है, क्योकि इसी क्षेत्र में सरस्वती बहती थी और इसरों के द्वारा पेलियो चैनल इसी ट्रैक के लिए गए थे।

प्राचीन संस्कृति को फिर से किया जाएगा जीवित

हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धुम्मन सिंह किरमिच ने मुख्यमंत्री नायब सैनी की ओर से एनसीईआरटी का आभार जताया है। भारत की सबसे प्राचीनतम नदी सरस्वती का एक अलग ही ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। इस नदी के तटों के किनारे ही भारतीय संस्कृति पली, बढ़ी और विकसित हुई है। इस नदी के किनारे अनेक ऋषि मुनियों ने तप किया। देश को ज्ञान का प्रकाश देने वाली इस नदी को अब पाठ्यक्रम में शामिल करके भारत की इस प्राचीन संस्कृति को फिर से जीवित किया जाएगा। जब देश के बच्चे अपनी विरासत और धरोहर के बारे में जानेंगे तो निश्चित ही आने वाली पीढ़ी को शिक्षित और संस्कारवान बनाया जा सकेगा। सरस्वती नदी के इतिहास एवं वर्तमान में सरस्वती नदी के किनारे स्थित आर्कियोलॉजिकल साइट्स वह इस नदी पर पनपी सभी सभ्यताएं जिनका वर्णन विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में आता था उस सभी की जानकारी इस सिलेबस में उपलब्ध है।

हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा / सुनील कुमार सक्सैना

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