यमुनानगर: यमुना नदी हमारी संस्कृति की धरोहर, बचाना जरूरी: महेंद्र मित्तल
यमुनानगर, 24 दिसंबर (हि.स.)। यमुना बचाओ समिति की नव नियुक्त जिलाध्यक्ष सुमन वाल्मीकि के नेतृत्व में समिति के सदस्य व उद्योग व्यापार मंडल हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष व समाजसेवी महेन्द्र मित्तल ने रविवार को पश्चिमी आवर्धन यमुना नहर व घाटों का दौरा व सर्वेक्षण किया। जिसमें शिष्टमण्डल ने नहर में गिरने वाले प्रदूषक पदार्थों पर चिंता जताई।
आसपास के लोगों ने बताया कि सुबह 4 बजे से कई नालियों व नालों से गंदे व अपशिष्ट पदार्थ पवित्र नहर में गिरना शुरु हो जाते हैं। जिस वजह से यमुना नदी नहाने व उसका पानी पीने योग्य नहीं रहता। जबकि इसी पवित्र नहर के नाम पर क्षेत्र का नामकरण हुआ जो जिला बन चुका है। महेन्द्र मित्तल ने कहा की यमुना नगरनिगम बनने के बाद उम्मीद और मौजूदा सरकार व पिछली सरकारों ने वादे किये की इसकी पवित्रता को बरकरार रखा जाएगा परन्तु धरातल पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।
उन्होने कहा की नहर की सफाई और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के नाम पर अब तक अरबों रुपयों का खर्च दिखाया जा चुका है। जबकि धरातल पर परिणाम शून्य हैं। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति मे नदियों को मां कहा जाता है। लेकिन हम अपनी मां पर अत्याचार कर रहे हैं। माँ यमुना भगवान कृष्ण की आठवीं पटरानी कादम्बिनी का दूसरा नाम है। मथुरा मे जो यमुना नदी जा रही है वह यही है। हमें इस पर गहन चिंतन करना चाहिए।
उन्होंने कहा की यमुना के घाटो को दोनो तरफ साफ और पक्का किया जाये। परिक्रमा मार्ग बना कर भक्तों को सुविधा प्रदान करें। यमुना के दोनो तरफ घाट बनाये जायें। यमुना मैया को माँ गंगा की तर्ज पर पर्यटक स्थल घोषित किया जाए। यमुना मईया मे मछली पकडना प्रतिबन्धित किया जाये। यमुना मईया के किनारे वृक्षारोपण किया जाये। जिससे ताजा वा शुद्ध हवा पूरे क्षेत्र को मिले वा वातावरण शुद्ध रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/अवतार/संजीव
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