हिसार: संत शिरोमणि जैन आचार्य विद्यासागर की हुई समाधि
हिसार, 18 फरवरी (हि.स.)। रविवार को संत शिरोमणि आचार्य प्रवर विद्यासागर महामुनिराज के ब्रह्मलीन होने से पूरे जैन समाज में शोक की लहर दौड़ गई है। वर्तमान के वर्धमान व जैन समाम के प्राण दाता राष्ट्रहित चिंतक परम पूज्य गुरुदेव ने विधिवत सल्लेखना बुद्धिपूर्वक धारण करके समाधी ली है।
पूर्ण जागृतावस्था में उन्होंने आचार्य पद का त्याग करते हुए तीन दिन के उपवास का पालन करते हुए आहार एवं संघ का प्रत्याख्यान कर दिया था। प्रत्याख्यान व प्रायश्चित देना बंद कर दिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था। आचार्यश्री की समाधि के बाद श्री दिगंबर जैन पंचायत हिसार ने रविवार को आचार्यश्री के डोले के समय दोपहर साढ़े बारह बजे से डेढ़ बजे तक श्री नमोकर महामंत्र का जाप, बड़ा दिगम्बर जैन मंदिर नागोरी गेट में किया। समाज की तरफ से सबने इस भावना के साथ भगवान से प्रार्थना की कि पूज्य गुरुदेव का शुभ गति में गमन हो और समाज के सब लोग खुद को भी इस योग्य बना पाएं कि सबका समता से समाधिपूर्वक मरण हो।
जैन समाज के प्रधान संजीव जैन सीए ने बताया कि आचार्य भगवंतश्री विद्यासागर महाराज का जाना पूरे राष्ट्र के लिए अपूर्णीय छति है। आचार्य भगवंत ने राष्ट्र के उत्थान लिए जीवन भर कार्य किया है। मातृभाषा हिंदी के लिए, भारत को भारत बोलने का आंदोलन, करोड़ो मूक पशुओं के लिए हजारों गौशालाएं खुलवाने का आंदोलन, स्वावलंबन के लिए देश में हजारों हथकरघा केंद्र स्थापित करवाने का आंदोलन व देश की नई शिक्षा नीति में उनके सुझाव देते हुए देश के उत्थान का काम किया।
उन्होंने केंद्र एवं प्रदेश सरकार से मांग की कि आचार्य विद्यासागर महाराज के समाधि प्रसंग पर सोमवार 19 फरवरी को राष्ट्रीय शोक एवं राजकीय शोक घोषित किया जाए, क्योंकि आचार्य विद्यासागर महाराज अकेले जैन धर्म के ही नहीं अपितु इस पृथ्वी के बहुत बड़े संत थे। हांसी जैन समाज की तरफ से मुकेश जैन ने बताया कि हांसी में पुण्योदय तीर्थ क्षेत्र का निर्माण आचार्यश्री की प्रेरणा से ही किया गया था। उनका जाना भारत की धार्मिक संस्कृति के लिए अपूर्णीय क्षति है।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव
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