पंजाब की तरफ बसें नहीं जाने से जींद डिपो को हर दिन हो रहा सात लाख का नुकसान
जींद, 23 फ़रवरी (हि.स.)। किसानों के दिल्ली कूच के चलते पिछले दस दिनों से कई जगह रास्ते बंद हैं। जिसके चलते आमजन की परेशानी बढ़ गई है। जींद डिपो की बात की जाए तो प्रतिदिन सात लाख का नुकसान हो रहा है। वहीं अबतक यह नुकसान 80 लाख तक पहुंच गया है। ऐसे में यदि किसान आंदोलन लंबा चलता है तो डिपो को करोड़ों में घाटा उठाना पड़ेगा। ट्रांसपोर्टर भी वर्तमान हालातों को देखते हुए पंजाब की तरफ माल ले जाने से किनारा करने लगे हैं।
रोडवेज के जींद डिपो में 200 के करीब बसें हैं और विभिन्न रूटों से डिपो को प्रतिदिन 12 से 13 लाख रुपये की आमदनी होती है। सबसे ज्यादा आमदनी चंडीगढ़, पंचकूला, दिल्ली, गुरूग्राम, हरिद्वार, लुधियाना, संगरूर, अमृतसर जैसे लंबे रूटों पर होती है। चंडीगढ़ रूट पर एक चक्कर में डिपो को 10 हजार से ज्यादा आमदनी होती है और दिन भर में डिपो की 10 के करीब बसें चलती हैं। दूसरे लंबे रूटों पर भी इसी तरह से आमदनी होती है लेकिन 12 फरवरी से किसानों के दिल्ली कूच को लेकर शंभू बार्डर पर और दातासिंहवाला बार्डर पर बैरिकेडिंग कर रास्ते रोके गए हैं। एक तरफ किसान तो इस तरफ पुलिस और जवान तैनात हैं। जिसके चलते वाहन चालकों को दूसरे लिंक मार्गों से होकर गुजरना पड़ रहा है।
सुरक्षा के लिहाज से रोडवेज की चंडीगढ़ वाली बसें अंबाला से वापस लौट रही थी तो पंजाब की तरफ जाने वाली बसें नरवाना तक ही जा पा रही थी। इससे डिपो की आमदनी घट रही है तो वहीं यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि यात्रियों की समस्या को देखते हुए लिंक मार्गों से बसों को ले जाया जा रहा है।
लिंक मार्गों से बसें निकालने से तेल की खपत ज्यादा
जींद से रोहतक की बसों को जुलाना से किला जफरगढ़ के बाद महम, मदीना गांवों की तरफ से निकाला जा रहा है। इससे तेल की खपत ज्यादा होती है और 15 से 20 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। इसी तरह चंडीगढ़ रूट की बसों को भी अंबाला से साहा की तरफ से पंचकूला के रास्ते चंडीगढ़ भेजना शुरू किया गया है। इससे बसों को कई किलोमीटर अतिरिक्त तय करने पड़ेंगे। जींद से नरवाना के लिए बसें डूमरखां से आगे रास्ता ब्लाक होने के चलते ढाकल की तरफ से होते हुए जा रही हैं। इससे समय और तेल की खपत ज्यादा हो रही है। जींद डिपो के सीआई राजकपूर ने बताया कि डिपो की आमदनी पर असर पड़ रहा है। बसों को दूसरे रास्तों से शुरू किया जा रहा है। प्रतिदिन सात लाख रुपये तक का नुकसान हो रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/ विजेंद्र/संजीव
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