हिसार: दूसरी फसलों की कास्त की वजह से आ रहा किसानों की पैदावार में अंतर: प्रो. बीआर कम्बोज
विश्वविद्यालय की नवीनतम किस्मों व कृषि पद्धतियों को जल्दी से जल्दी किसानों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी
कृषि अधिकारियों की दो दिवसीय कार्यशाला (खरीफ) का शुभारंभ, प्रदेश भर से कृषि अधिकारी करेंगे मंथन
हिसार, 7 मार्च (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा है कि विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित की गई फसलों की सिफारिश के अलावा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में फसल उत्पादन में अलग-अलग तरह से काश्तकारी की जा रही है। इसके कारण अनुमोदित सिफारिश की पैदावार के मुकाबले किसानों की पैदावार में अंतर आ जाता है। उन्होंने कृषि अधिकारियों से आह्वान किया कि फसल उत्पादन की समग्र सिफारिशों को पूर्ण रूप से लागू करवाकर पैदावार के इस अंतर को कम करके, कम लागत पर अधिक से अधिक लाभ किसानों को पहुंचाए। वे गुरुवार को एचएयू में शुरू हुई दो दिवसीय कृषि अधिकारी कार्यशाला (खरीफ) 2024 के शुभारंभ अवसर पर संबोधन दे रहे थे।
विस्तार शिक्षा निदेशालय की ओर से आयोजित कार्यशाला में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारी व विस्तार शिक्षा विशेषज्ञों ने भाग लिया। कुलपति ने बताया कि इस कार्यशाला से विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई नवीनतम किस्मों व कृषि पद्धतियों को जल्दी से जल्दी से किसानों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी, जिससे कि फसलों की पैदावार बढ़ेगी। उन्होंने वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में आ रही चुनौतियों जैसे भू-जल के स्तर का गिरना, भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी आना, भूमि की लवणता, क्षारीयता व जल भराव की स्थिति, जलवायु परिवर्तन, फसल विविधिकरण तथा फसल उत्पादन में कीटनाशक एवं रसायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग शामिल है।
उन्होंने जमीनी स्तर पर किसानों के संपर्क में कार्य कर रहे कृषि अधिकारियों के फीडबैक से विश्वविद्यालय में चल रहे शोध कार्य को और अधिक तीव्रता से व केंद्रित करके इन समस्याओं का उचित समाधान जल्दी मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने कृषक समुदाय के उत्थान के लिए हर गांव से 30 किसानों का डाटा एकत्रित कर उसे सीएससी सेंटर से जोड़ा है ताकि कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा कृषि क्षेत्र से जुड़ी दुरुस्त जानकारियां, नवाचारों, प्रौद्योगिकियों व नई तकनीकों को आसानी से किसानों तक पहुंचाया जा सकें।
कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा कि किसानों के उत्थान के लिए विश्वविद्यालय ने बीते तीन वर्षों में विभिन्न फसलों की 44 किस्में विकसित की है लेकिन इन किस्मों को किसानों तक पहुंचाना अहम चुनौती है। इसके लिए विश्वविद्यालय ने कई निजी कंपनियों के साथ समझौते किए हैं, ताकि किसानों तक विश्वविद्यालय द्वारा इजाद की गई फसलों की उन्नत किस्मों को जल्दी से जल्दी पहुंचाया जा सकें। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त कृषि निदेशक (सांख्यिकी) डॉ. आरएस सोलंकी ने कृषि विभाग की ओर से खरीफ फसलों के लिए तैयार की गई विस्तृत रणनीति की जानकारी दी।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।