हिसार: भारत को विकसित बनाने में महत्वपूर्ण होगी सेंसर तकनीक की भूमिका: नरसी राम बिश्नोई

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हिसार: भारत को विकसित बनाने में महत्वपूर्ण होगी सेंसर तकनीक की भूमिका: नरसी राम बिश्नोई


हिसार: भारत को विकसित बनाने में महत्वपूर्ण होगी सेंसर तकनीक की भूमिका: नरसी राम बिश्नोई


‘सेंसर्स फॉर हेल्थकेयर एंड इनवायर्नमेंटल एप्लीकेशंस (एसएचएचईए-2024)’ विषय पर इंडो-जर्मन कार्यशाला शुरू

हिसार, 28 मार्च (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में सेंसर तकनीक की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। सेंसर तकनीक जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी होने वाली है। सतत विकास के उद्देश्यों को पूरा करने में भी सेंसर तकनीक अत्यंत कारगर साबित हो सकती है। वे गुरुवार को ‘सेंसर्स फॉर हेल्थकेयर एंड इनवायर्नमेंटल एप्लीकेशंस (एसएचएचईए-2024)’ विषय पर शुरू हुई इंडो-जर्मन कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

आरडब्ल्यूटीएच आचेन विश्वविद्यालय, आचेन, जर्मनी के डा. विवेक पाचौरी व आईआईटी मद्रास के डा. एमएस नारायणन अंतरराष्ट्रीय प्रमुख अन्वेषक के रूप में उपस्थित रहे जबकि प्रो. नीरज दिलबागी व प्रो. संदीप कुमार स्पार्क स्कीम (एमओई) के राष्ट्रीय प्रमुख अन्वेषक एवं कार्यशाला के संयोजक व सह-संयोजक के रूप में उपस्थित रहे। इस अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन स्पार्क स्कीम (एमओई) के अंतर्गत किया जा रहा है।कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि यह इंडो-जर्मन कार्यशाला भारतीय तथा भाग लेने वाले विदेशी विद्यार्थियों को संबंधित विषय की आधुनिक स्तर की वैश्विक तकनीकों से अवगत कराएगी। यह कार्यशाला स्पार्क स्कीम के तहत संबंधित प्रोजेक्ट में हरियाणा में होने वाली पहली कार्यशाला है।

कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने कहा कि सेंसर तकनीक, हेल्थकेयर, इनवायर्नमेंट, जल प्रबंधन तथा वाणिज्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित होने वाली है। पूरी पृथ्वी जिस प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रही है, उनको हल करने में सेंसर तकनीक की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। डा. विवेक पाचौरी ने कहा कि इस कार्यशाला से विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षण संस्थाओं से संबंध और अधिक मजबूत होंगे। उन्होंने इस आयोजन के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किए गए प्रयासों की प्रशंसा की। डा. एमएस नारायणन ने कहा अपने व्याख्यान में बायो इनक्यूबेटर का विस्तार से उल्लेख किया तथा विश्वविद्यालय में इनक्यूबेशन सैंटर के महत्व पर प्रकाश डाला।

प्रो. नीरज दिलबागी ने स्वागत संबोधन में एसएचएचईए-2024 के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में सेंसर तकनीक से संबंधित सभी विषयों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिए जाएंगे। इस कार्यशाला में 120 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। प्रतिभागियों को विशेषज्ञ वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के प्रो. जीआर चौधरी, दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर प्रो.बीडी मल्होत्रा, एनआईएबी हैदराबाद की डा. सोनू गांधी, आईएनएसटी, मोहाली के प्रो. आकाश दीप व जेएनयू दिल्ली के डा. जयदीप भट्टाचार्य संबोधित करेंगे। कार्यशाला की संयोजक सचिव डा. सपना ग्रेवाल उद्घाटन समारोह का मंच संचालन किया।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव

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