नई शिक्षा नीति वर्तमान भारत की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप : प्रो. एच.एल.वर्मा
बीएमयू में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के मुद्दे और चुनौतियां विषय पर सेमिनार का आयोजन
रोहतक, 31 मई (हि.स.)। श्रीबाबा मस्तनाथ इंस्टीट्यूट आफ एजुकेशनल ट्रेनिंग एंड रिसर्च में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 उच्च शिक्षा के कार्यान्वयन के मुद्दे और चुनौतियां विषय पर शुक्रवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता प्रो. कर्मपाल सिंह ने सरल एवं सहज भाषा में बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 गुणवत्ता परक व्यावसायिक शिक्षा पर बल देती है, जिससे विद्यार्थी देश-विदेश में रोजगार प्राप्त कर अपने जीवन को संवार सकें।
उन्होंने उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करते समय आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए उचित उपाय भी बताए। उन्होंने शोधार्थियों की शंकाओं का निवारण भी किया। उन्होंने मूल्य परक शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा में सभी प्रकार के मूल्यों को पर्याप्त स्थान मिलना चाहिए क्योंकि मूल्य ही व्यक्ति को संवेदनशील बनाते है। संवेदनशील मनुष्य ही सच्चे अर्थों में मानव की श्रेणी में आता है।
विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. एच.एल.वर्मा ने नई शिक्षा नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह नीति वर्तमान भारत की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप तैयार की गई है, जिसका उच्च शिक्षा में लागू होना अति अनिवार्य है। इसके लिए सभी की सामूहिक साझेदारी आवश्यक है।
प्रो. सुभाष चंद्र गक्खड ने बताया कि आजादी के बाद बनने वाली पूर्व की दो शिक्षा नीतियों ने भारत के कल्याण में अपना पूर्ण योगदान दिया जिसके बल पर भारत ने अब तक का विकास मार्ग तय किया। इस अवसर पर प्राचार्या डॉ. प्रमिला मलिक, रजिस्ट्रार डॉ मनोज वर्मा, डीन अकादमिक डॉ नवीन कपिल, डा. बीएम यादव, डॉ सुधीर मलिक, डॉ. अरुणाचल, डॉ. जेके शर्मा, डॉ. मधु अहलावत, डॉ. अनिल डूडी, डॉ. अनिल कनवा, डॉ. पल्लवी, डॉ. सुनीता शर्मा, डॉ. अर्चना शर्मा, रीतू रानी, डॉ. सुचिता, डॉ. सुनीता एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल/संजीव
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