जींद : महाभारतकालीन ऐतिहासिक नगरी पहुंचे जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
जींद, 4 नवंबर (हि.स.)। ऐतिहासिक महाभारतकालीन नगरी सफीदों में शनिवार को पहली बार ज्योतिष्पीठाधीश्वर श्रीश्री 1008 श्री जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज का मंगल पर्दापण हुआ। शंकराचार्य सम्मान समिति के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल एवं नगर के गण्यमान्य लोगों ने नगर के जींद रोड़ पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज को रिसिव किया गया।
वहां से उन्हें सुसज्जित रथ में विराजमान करके शोभायात्रा के रूप में धर्मसभा स्थल रामलीला मैदान में ले जाया गया। कार्यक्रम स्थल पर आयोजक संस्था शंकराचार्य सम्मान समिति के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल व गण्यमान्य लोगों ने उनकी चरण पादुका पूजन करके उनका अभिनंदन किया। वहीं सफीदों विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुभाष गांगोली व हरियाणा गौसेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण गर्ग ने भी उनका विशेष रूप से स्वागत किया।
ज्योतिष्पीठाधीश्वर श्रीश्री 1008 श्री जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि विश्व कल्याण के लिए वे हरियाणा मंगलम यात्रा पर निकले हैं। जब उन्होंने इस पीठ को संभाला तो उनके मन में विचार आया कि केवल मंगल की कामना करने भर से मंगल होने वाला नहीं है। इसके लिए हमें परिश्रम करने की जरूरत है। इसी उद्देश्य के साथ वे अपने मठ से बाहर निकले हैं। अपनी मंगलम यात्रा की शुरुआत उन्होंने हरियाणा प्रदेश से शुरू की है। इसका मुख्य कारण यह है कि हरियाणा प्रदेश के नामकरण में श्रीहरि का नाम जुड़ा हुआ है। हरि शब्द का अर्थ है हरण करने वाला। भगवान श्री हरि लोगों की बुराइयां व संकटों का हरण करने वाले हैं। श्री हरि ने अपनी लीलाओं के माध्यम से तीनों लोकों के लोगों की पीड़ाओं और बुराईयों को चुराया है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने किसी की धन व संपत्ति नहीं बल्कि लोगों के कष्टों को चुराया है। इसलिए हर मनुष्य को भक्ति मार्ग पर अग्रसर होकर अपने मन में श्री हरि को प्रकट करना होगा।
हिन्दुस्थान समाचार/ विजेंद्र/संजीव
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