फतेहाबाद: कपास की फसल में गुलाबी सूंडी की जांच करने गांव मताना में पहुंची भारत सरकार की टीम

फतेहाबाद: कपास की फसल में गुलाबी सूंडी की जांच करने गांव मताना में पहुंची भारत सरकार की टीम
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फतेहाबाद: कपास की फसल में गुलाबी सूंडी की जांच करने गांव मताना में पहुंची भारत सरकार की टीम


फतेहाबाद, 2 जुलाई (हि.स.)। कृषि मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, फरीदाबाद से आई हुई टीम मेंं सहायक निदेशक सुनील चंद्रा, वनस्पति संरक्षण अधिकारी लक्ष्मी चंद, और सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी सूरज बरनवाल द्वारा जिले के गांव-मताना में सर्वेक्षण करा गया और पाया गया कि गुलाबी सूंडी का प्रकोप अभी कपास पर नहीं है।

इस दौरान कपास की खेती करने वाले किसानों को सलाह भी दी गई की जिन किसानों ने अपने खेत में नरमे की लकडिय़ों को भंडारित कर रखा है, उन किसानों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इन किसानों के खेतों में गुलाबी सूंडी का प्रभाव अधिक होता है। इसके अलावा उन्हें सुझाव दिया गया कि नरमे की लकडिय़ों को खेत में इकट्ठा ना करें। अगर करते हैं तो उन्हें प्लास्टिक की शीट से ढक कर रखे। साथ ही फसल की शुरुवाती अवस्था में गुलाबी सूंडी से प्रभावित नीचे गिरे रोसेट फूल, फूल डोडी व टिंडों आदि को एकत्रित कर जला दे।

मंगलवार को फतेहाबाद पहुंची टीम में शामिल विशेषज्ञों ने किसानों को यह भी सलाह दी कि लगातार अपनी फसल की निगरानी करे तथा फसल के 60 दिन के हो जाने पर एनएसकेई 5 प्रतिशत का छिडक़ाव करे। फसल की बिजाई के 40-50 दिनों के बाद दो फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ लगाए तथा रोजाना खेत मे जाकर ट्रैप को देखे की उसमें कीटों की कितनी संख्या रहती है। इनमें 5-8 कीट प्रति ट्रैप लगातार तीन दिन तक आने पर ही कीट का आर्थिक हानि स्तर माना जाता है और ऐसी स्थिति होने पर किसान तुरंत केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति द्वारा गुलाबी सूंडी के लिए अनुशंसित कीटनाशकों का अनुशंसित मात्रा पर छिडक़ाव करे और अपनी फसल बचाए। इसके अलावा टीम के सदस्यों द्वारा मित्र कीटों जैसे कि ट्राईकोग्रामा, लेडी बर्ड बीटल एवं क्राइसोपर्ला आदि का संरक्षण करे। इस मौके पर सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी डॉ. जागीर सिंह व कृषि विकास अधिकारी डॉ. अंकित ढिल्लों टीम के साथ मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/अर्जुन/संजीव

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