हिसार: जगद्गुरु त्रिदंडी जीयर स्वामी जी महाराज का परमधाम गमन
हिसार, 17 जनवरी (हि.स.)। उत्तर व दक्षिण भारतीय संस्कृति में सामंजस्य स्थापित करने वाले श्री तिरुपति बालाजी धाम के संस्थापक श्री श्री 1008 अनन्त श्री विभूषित श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य त्रिदंडी जीयर स्वामी श्री देव नारायणाचार्य जी महाराज इस नश्वर संसार को त्यागकर परमधाम गमन कर गए हैं। 18 जनवरी को वृंदावन में अंतिम शोभायात्रा निकाली जाएगी और हरिद्वार में विधिवत ढंग से और पूरे श्रद्धा भाव से जल समाधि कार्यक्रम होगा। इस दौरान भक्तगण अंतिम दर्शन भी कर पाएंगे। हिसार के तिरुपति धाम से जुड़े सदस्य व भक्तगण वृंदावन व हरिद्वार के लिए बुधवार को रवाना हुए।
जगद्गुरु त्रिदंडी जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रभु की आराधना करते हुए आजीवन धर्म की अलख जगाई। वे काफी समय से अस्वस्थ थे, परंतु उन्होंने नित्यकर्म नहीं छोड़ा और हर रोज प्रभु की आराधना, आरती व भक्ति में लीन रहते थे। स्वामी जी महाराज श्री तिरुपति धाम के संस्थापक एवं अध्यक्ष रहने के साथ-साथ वृंदावन स्थित गोदा हरिदेव मंदिर के पीठाधीश्वर के पद पर रहकर धर्म व कर्म की अलख जगाते रहे। कई वर्ष पूर्व वे हिसार में श्रीमद्भागवत् कथा करने के लिए पधारते थे। उनके मुखमंडल का तेज, सात्विकता, आध्यात्मिकता व तपस्या से प्रभावित होकर हिसार व आसपास के कई जिलों के भक्तों ने उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
जगद्गुरु महाराज ने लगभग एक दशक पूर्व हिसार में श्री तिरुपति बालाजी धाम की स्थापना की इच्छा जताई तो भक्तों ने इसे अपना सौभाग्य समझा। स्वामी जी महाराज के निर्देशन में लांदड़ी टोल प्लाजा के पास अग्रोहा रोड पर भूमि खरीदकर इस पर धाम का निर्माण कार्य शुरू किया गया। भगवान श्री वेंकटेश जी की अनुकंपा एवं गुरु जी के आशीर्वाद से 1 जुलाई 2022 को श्री तिरुपति बालाजी धाम में पूरे विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा की गई। दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित इस धाम में श्री वेंकटेश भगवान जी, श्री पद्मावती माता जी, श्री गोदांबा माता जी, श्री गरुड़ जी, श्री लक्ष्मी नृसिंह जी, श्री सुदर्शन जी, श्री रामानुज स्वामी जी, श्री शठकोप स्वामी जी एवं श्री हनुमान जी के मंदिर स्थापित किए गए हैं। इनके साथ-साथ श्री तिरुपति बालाजी धाम में 42 फुट ऊंचा सोने का श्री गरुड़ स्तंभ, बलिपीठम्, श्री तिरुपति यज्ञशाला, श्रीनिवास गोशाला एवं पवित्र पुष्करणी भी स्थापित किए गए हैं। वर्तमान समय में यहां पर 71 फुट ऊंचा गोपुरम भी निर्माणाधीन है। यह गोपुरम दक्षिण भारतीय शैली में वहीं के कारीगरों द्वारा निर्मित किया जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/सुमन/संजीव
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