प्रदेश के स्कूलों की हालत चिंताजनक, 538 स्कूलों में गल्र्स टॉयलेट नहीं : मनोज राठी
आआपा नेता ने उच्च न्यायालय में आए तथ्यों पर सरकार को घेरा
सरकार ने अपने शपथ पत्रों में स्वाकारी स्कूलों में व्याप्त कमियां
हिसार, 25 नवंबर (हि.स.)। आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं किसान मोर्चा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोज राठी ने प्रदेश में स्कूलों की हालत पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग को पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि प्रदेश के 538 स्कूलों में गल्र्स टॉयलेट नहीं है, शोषण के मामले बढ़े हैं। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को भी तलब किया है।
मनोज राठी ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेेशों का हवाला देते हुए शनिवार को कहा कि मुख्य सचिव व स्कूली शिक्षा निदेशक को 15 दिसंबर को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने के आदेश दिए हैं। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के शिक्षा विभाग को कड़ी फटकार लगाते हुए पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। जस्टिस विनोद भारद्वाज ने सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर चल रही सुनवाई में यह आदेश दिए।
उच्च न्यायालय ने कहा है कि हरियाणा सरकार कोर्ट के सामने सिर्फ आंकड़ों का खेल खेल रही है और धरातल पर कोई काम नहीं कर रही। मनोज राठी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने एक हफ्ते के अंदर सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति के लिए समय सीमाबद्ध योजना पेश करने के आदेश दिए हैं और हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव व स्कूली शिक्षा डायरेक्टर को 15 दिसंबर को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट के सामने हाजिर होने के आदेश दिए हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा दिये गए हलफनामे के मुताबिक, हरियाणा के 131 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है, 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है, 538 स्कूलों में लड़कियों के शौचालय नहीं है और 1047 स्कूलों में लड़कों के शौचालय नहीं है। इसके अलावा कोर्ट को बताया गया कि छात्रों के लिए 8240 क्लास रूम की जरूरत है।
मनोज राठी के अनुसार इस संबंध में कैथल जिले के बालू स्कूल के छात्रों ने अपने वकील प्रदीप कुमार रापड़िया के माध्यम से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की शिक्षा विभाग से एफिडेविट के माध्यम से स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब में जो आंकड़े व तथ्य सामने आए वह चौंकाने वाले है। एफिडेविट के मुताबिक, हरियाणा के 131 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है, 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है, 538 स्कूलों में लड़कियों के टॉयलेट नहीं है और 1047 स्कूलों में लड़कों के टॉयलेट नहीं है।
इसके अलावा कोर्ट को बताया गया कि छात्रों के लिए 8240 क्लासरूम की जरूरत है। वकील प्रदीप रापड़िया और रीपु दमन बूरा ने हाईकोर्ट को बताया कि एक तरफ तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और खुले में शोच मुक्त भारत जैसे नारे दिए जा रहे है और दूसरी तरफ स्कूलों में टॉयलेट और पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है। इन सुविधाओं के लिए स्कूली बच्चों को मजबूरन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। शिक्षा विभाग ने 10,675.99 करोड़ रुपए की ग्रांट को बिना उपयोग किए सरकार को वापस भेज दिया।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर
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