सुनील जागलान का 75 वां वूमनिया जीडीपी अभियान अवैतनिक महिलाओं को समर्पित
अब हाउस मेकर कहकर नहीं चलेगा काम देना होगा वेतन
चंडीगढ़, 18 फरवरी (हि.स.)। घरों में रहकर अपनी मेहनत से मकान को घर बनाने वाली शहरी महिलाओं को तो आधुनिक समाज में हाउसमेकर का नाम तो दे दिया जाता है लेकिन कस्बों व गावों में रहने वाली महिलाएं भले ही उनके मुकाबले अधिक मेहनत करती हों लेकिन उन्हें कोई मान्यता नहीं मिल पाती है। ऐसी ही महिलाओं की आवाज बुलंद करने के लिए अब ‘सेल्फी विद डॉटर’ के संस्थापक सुनील जगलान ने भारतीय महिलाओं के किए जा रहे ‘अवैतनिक घरेलू काम’ को मान्यता देने के लिए अपने 75वें अभियान के रूप में ‘वूमनिया जीडीपी’ लांच किया है।
सुनील जागलान की अभियान शुरू करने की ख़ास बात यह है कि पहले उस अभियान को एक साल तक कुछ गांवों में ज़मीनी स्तर पर करते हैं और फिर उसको पब्लिक प्लेटफ़ार्म पर लांंच करते हैं। इसी तरह एक वर्ष से इन्होंने देश के कऱीब 500 घरों में इस प्रयास पर कार्य किया, जिसमें से कऱीब 30 प्रतिशत घरों में सफलता मिली।
जागलान के अनुसार जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) शब्द हमेशा खबरों में रहता है, लेकिन क्या आपने कभी उन वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के बारे में सोचा है जो जीडीपी डेटा संग्रह के दायरे से बाहर हैं, यानी महिलाओं का अवैतनिक घरेलू काम।
उन्होंने कहा कि कि महिलाओं के ‘अवैतनिक घरेलू काम’ ने उन्हें एक दिन बैठकर इस पर सोचने पर मजबूर कर दिया और फिर उन्होंने ‘वूमनिया जीडीपी’ अभियान शुरू करने का फैसला किया। जून 2015 में कुरीतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘सेल्फी विद डॉटर’ पहल शुरू करने वाले जींद के बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच जगलान कहते हैं कि इस अभियान की जड़ महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता के साथ आगे बढऩे में मदद करने की मेरी इच्छा में निहित है। जैसे कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए किए गए प्रयास जो धीरे-धीरे सफल हो रहे हैं।
इस पहल को व्यापक प्रचार तब मिला जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अभियान की सराहना की। उनका कहना है कि पितृसत्तात्मक समाज की मानसिकता को बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर उन्होंने ‘सेल्फी विद डॉटर’ अभियान शुरू किया और कुछ ही दिनों में हैशटैग सेल्फीविदडॉटर के साथ सोशल मीडिया पर हजारों सेल्फी अपलोड की गईं।
जागलान ने कहा कि उन्हें पता चला है कि महिलाओं की दूसरों पर वित्तीय निर्भरता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनके सामने आने वाली सभी प्रमुख समस्याओं से जुड़ी हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं का अवैतनिक घरेलू काम जीडीपी का लगभग 7.2 प्रतिशत है, जिसका मतलब है कि अगर सभी महिलाओं को उनके घरेलू कामों के लिए भुगतान किया जाए तो यह जीडीपी का 7.2 प्रतिशत हिस्सा होगा।
उन्होंने कहा कि ‘वूमनिया जीडीपी’ अभियान हरियाणा के हिसार,जींद,गुरुग्राम जिलों में शुरू किया गया है, जिसका मुख्य ध्यान ग्रामीण महिलाओं पर है। इसके अलावा उतर प्रदेश,महाराष्ट्र के कई जिलों में यह अभियान ज़मीनी स्तर पर शुरू किया है। इसका उद्देश्य यह है कि रोज़ाना घंटो तक घरेलू काम करने के लिए महिलाओं के योगदान को महत्व दिया जाना चाहिए।
सुनील जागलान के विभिन्न अभियानों में कन्या भ्रूण हत्या रोकने,पीरियड चार्ट अभियान, गाली बंद घर, लाडो स्वाभिमान उत्सव, विमेन हैप्पीनैस चार्ट, लाडो पुस्तकालय (गल्र्स लाइब्रेरी), विमेन फ़स्र्ट ऐड किट फॉर विमेन,बेटियों की नेमप्लेट, सेल्फी अंगेस्ट डॉवरी,लाडो पंचायत, पैडमित्र,सेल्फी विद डॉटर एंड ट्री,लाडो गो ऑनलाइन, महिला हितैषी पंचायत,बेटी की बधाई, वॉर एंगेस्ट रेप,प्रेस कांफ्रैंस बाई हर,जैसे महत्वपूर्ण अभियान शामिल हैं।
सुनील जागलान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान महिलाओं के लिए किए गए सभी प्रयासों की सराहना करते और अपना 76 वां अभियान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महिलाओं के चेहरों पर ख़ुशी लाने के प्रयासों को समर्पित होगा।
हिन्दुस्थान समाचार/संजीव
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