झज्जर में खतरनाक स्तर पर पहुंचा एक्यूआई, डीसी ने चेताया
-ग्रेप के चौथे चरण की पाबंदी के नियमों का कड़ाई से पालन जनहित में जरूरी
-वाटर स्प्रिंकलर सहित प्रदूषण नियंत्रण के सभी संसाधनों का इस्तेमाल करें आमजन
झज्जर, 17 नवंबर (हि.स.)। जिले के दिल्ली से सटे क्षेत्रों में शुक्रवार को प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया। प्रमुख शहर बहादुरगढ़ में एक्यूआई 404 दर्ज किया गया। जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आमजन तो पूरा ध्यान रखने को कहा है।
एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण के निरंतर बढ़ते स्तर से आमजन के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने भी विशेष एडवाइजरी जारी की है। डीसी कैप्टन शक्ति सिंह ने जिलावासियों से आह्वान किया है कि पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण से बचाव की दिशा में जिला प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे निर्णायक कदमों में आमजन भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। वायु प्रदूषण नियंत्रण में रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
सुबह और देर शाम को बाहर टहलना, दौड़ना और शारीरिक व्यायाम करने से परहेज करें। साथ ही सुबह और देर शाम के समय बाहरी दरवाजे और खिड़कियां न खोलें, यदि आवश्यक हो तो यह कार्य दोपहर 12 बजे से 4 बजे के बीच किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लकड़ी, कोयला, पशुओं का गोबर, मिट्टी का तेल जैसे बायोमास जलाने से बचें। खाना पकाने और हीटिंग उद्देश्यों के लिए स्वच्छ धुआं रहित ईंधन (गैस या बिजली) का उपयोग करें। यदि बायोमास का उपयोग कर रहे हैं, तो स्वच्छ कुक स्टोव का उपयोग करें। चूंकि यह सर्दियों का मौसम है ऐसे में अंगीठी में लकड़ी का कोयला व किसी भी प्रकार की लकड़ी, पत्तियां, फसल अवशेष और अपशिष्ट को खुले में न जलाएं
डीसी ने बताया कि चूंकि पूरे एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण काफी उच्च स्तर पर है ऐसे में बंद परिसर में मच्छर भगाने वाली क्वाइल और अगरबत्ती जलाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। वहीं अपनी आंखों को प्रदूषण से बचाने के लिए उन्हें नियमित रूप से साफ पानी से धोते रहें और गले मे सांस लेने में कोई परेशानी न हो इसके लिए गर्म पानी से नियमित गरारे करें। इस दौरान यदि आपको सांस फूलना, चक्कर आना, खांसी, सीने में तकलीफ या दर्द, आंखों में जलन (लाल या पानी आना) जैसा महसूस हो तो अपने नजदीकी डॉक्टर से सलाह लें।
डीसी ने झज्जर और बहादुरगढ़ शहर की विभिन्न आरडब्ल्यूए से भी आह्वान किया कि जिन आरडब्ल्यूए के पास पेड़ों की धुलाई के लिए स्प्रिंकल मशीनें व अन्य संसाधन उपलब्ध हैं वे उनकी पूरी क्षमता का उपयोग करते हुए प्रदूषण को कम करने में सहयोग करें। साथ ही अपने अपने क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर जिला प्रशासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों की पालना करवाना भी सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि जिला में ग्रेप के तीनों चरण के तहत विभिन प्रकार की पाबंदियां भी लगाई गई है, जिसमें निर्माण कार्य की रोकथाम भी प्रमुख है। डीसी ने कहा कि सभी आरडब्ल्यूए यह सुनिश्चित करें कि उनके अधिकार क्षेत्र में कोई भी निर्माण सामग्री खुले में न पड़ी रहे। बेहतर रहेगा कि उस पर पानी का छिडक़ाव कर उसे तिरपाल से ढका जाए।
हिन्दुस्थान समाचार/ शील
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