कैथल: ऑनर किलिंग मामले में स्टेट क्राइम ब्रांच के जांच अधिकारी के खिलाफ प्रशासनिक जांच के आदेश

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कैथल: ऑनर किलिंग मामले में स्टेट क्राइम ब्रांच के जांच अधिकारी के खिलाफ प्रशासनिक जांच के आदेश


डीएसपी पर लगे हैं आरोपियों की‌ मदद करने के आरोप

कैथल, 17 अक्टूबर (हि.स.)। कैथल में दो महीने पहले हुए ऑनर किलिंग के मामले में कैथल की अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत स्थापित विशेष अदालत के जज अमित गर्ग ने स्टेट क्राइम ब्रांच के जांच अधिकारी सुनील कुमार के खिलाफ डीजीपी हरियाणा को प्रशासनिक जांच के आदेश दिए हैं।

पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता रजत कल्सन ने बताया कि डीएसपी सुनील कुमार के खिलाफ जांच में जानबूझकर विशेष समाज की महापंचायत व राजनीतिक दबाव में युवती की मां को बेकसूर साबित करने के लिए अदालत में याचिका देने व जानबूझकर आरोपियों को मुकदमे में फायदा पहुंचाने के लिए तथा पीड़ित पक्ष के केस को कमजोर करने के लिए एफआईआर दर्ज होने की तिथि के चार महीने बाद भी चालान पेश नहीं करने के आरोप हैं। वकील ने बताया कि अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार अधिनियम की धारा 4 के अनुसार यदि जांच अधिकारी एससीएसटी एक्ट से संबंधित केस में 60 दिन के अंदर अंतिम रिपोर्ट अदालत में पेश नहीं करते हैं, तो इसे जांच अधिकारी की गंभीर लापरवाही माना जाता है। जिसमें सजा का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त जांच अधिकारी के द्वारा दायर हत्या की साजिश में शामिल युवक की आरोपी मां को क्लीन चिट देने के लिए धारा 169 सीआरपीसी के तहत दी गई याचिका को भी विशेष अदालत पीड़ित पक्ष की बहस के बाद खारिज कर चुकी है।

कल्सन ने बताया कि क्राइम ब्रांच के आरोपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ अदालत में एससी एसटी एक्ट की धारा 4 के तहत याचिका दायर कर सख्त कार्रवाई की मांग की गयी थी। जिस पर अदालत में उक्त पुलिस अधिकारी के खिलाफ पीड़ित पक्ष की याचिका को मंजूर करते हुए हरियाणा के डीजीपी को डीएसपी के खिलाफ प्रशासनिक जांच करने के आदेश दिए हैं।

प्रेम विवाह करने पर भाई ने की थी बहन की हत्या

गौरतलब है कि कैथल के एक दलित समुदाय के युवक ने, एक जाति विशेष की लड़की से प्रेम विवाह किया था तथा उक्त जाति विशेष की लड़की के भाई ने अपनी बहन के ससुराल में घुसकर गोलीबारी कर अपनी बहन की हत्या कर दी थी तथा उसकी सास, पति व ननद पर गोलियां चलाई थी। इस फायरिंग में युवती की सास की रीढ़ की हड्डी में दो गोलियां फस गईं थी, जिसके चलते वह पूर्णतया पैरालाइज्ड हो गई तथा ननद के हाथ में गोली लगी और पति बाल-बाल बच गया था। इस मामले में कैथल पुलिस के जांच अधिकारी ने हत्यारोपी भाई तथा साजिश में शामिल उसकी मां को गिरफ्तार किया था । परंतु इस हत्याकांड के उपरांत मृतक युवती के भाई व मां की गिरफ्तारी के बाद गुर्जर समाज ने कैथल में एक महापंचायत की थी तथा मृतक युवती की मां को जेल से रिहा न करने की सूरत में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को धमकी दी थी कि इलेक्शन में उनका बायकाट किया जाएगा। इसके बाद आनन फानन में तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा जांच स्टेट क्राइम ब्रांच के डीएसपी सुनील कुमार को सौंप दी गई थी। जिसके खिलाफ पीड़ित पक्ष ने खुलेआम आरोपियों की मदद करने के आरोप लगाए

हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / नरेश कुमार भारद्वाज

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