हिसार: पुराणों व शास्त्रों को अपनी जीवन शैली में भी उतारना चाहिए: आचार्य श्री तरूण शांडिल्य

गुज्जर-अहीर धर्मशाला में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा जारी
हिसार, 17 सितम्बर (हि.स.)। गुज्जर-अहीर कल्याण सभा के तत्वावधान में राधा अष्टमी उत्सव के उपलक्ष्य में पड़ाव चौक स्थित गुज्जर-अहीर धर्मशाला में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन रविवार को व्यास पीठ पर सुशोभित आचार्य श्री तरुण कृष्ण शांडिल्य गुरुजी ने भागवत पुराण के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा ग्रंथ श्री भागवत जी द्वारा कहा गया प्रथम ग्रंथ है। श्रीमद् भागवत का सर्वप्रथम भगवान नारायण जी ने ब्रह्मा जी को दान किया। ब्रह्मा जी ने पुत्र श्री नारद मुनि को और श्री नारद मुनि ने महर्षि वेदव्यास को कथा सुनाई। महर्षि वेद व्यास ने यह शुक देव को और शुक देव ने यह कथा राजा परीक्षित का सुनाई। यहीं से श्रीमद् भागवत कथा का जन-जन में प्रचार हुआ। भागवत कथा श्रवण करने से सात दिन में इच्छा पूर्ण होती है। जो इस कथा के नियम का अनुसरण करता है वह व्यक्ति अपनी इच्छा व मनोरथ भी प्राप्त करता है।
आचार्य तरुण कृष्ण ने कहा कि पुराणों व शास्त्रों को अपनी जीवन शैली में भी उतारना चाहिए।गौरतलब है कि गुज्जर-अहीर धर्मशाला में 16 सितंबर से 22 सितंबर तक राधा अष्टमी के उपलक्ष्य में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा प्रतिदिन शाम 3:30 बजे आरंभ होती है। इस अवसर पर महावीर यादव (मड्डी), एडवोकेट कृष्ण खटाणा, अजीत वर्मा, सुनील यादव, राजेंद्र यादव, श्याम सुंदर वर्मा, कुलदीप गुर्जर, कृष्ण गुर्जर, कपिल गुर्जर, चंदन, सरोज, सुशीला, लक्ष्मी, मुकेश, टोनी, मंजीत, निशा, बबली, सुमन, कृष्णा, ममता, सुलोचना, सुमित्रा, ज्योति, पूजा, रेजू, बाला, उषा, रिया, सपना, प्रेम, कमला, कविता, अंजली व उमा सहित सैकड़ों श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव
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