हिसार: अंतरराष्ट्रीय कार्यशालाओं में कनाडा, पोलैंड व ब्राजील के वैज्ञानिकों ने दिए व्याख्यान

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हिसार: अंतरराष्ट्रीय कार्यशालाओं में कनाडा, पोलैंड व ब्राजील के वैज्ञानिकों ने दिए व्याख्यान


अंतरराष्ट्रीय कार्यशालाओं से होगा शोधार्थियों में नवाचारों का संचार : कुलपति

हिसार, 19 दिसंबर (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविधालय के मौलिक विज्ञान और मानविकी महाविद्यालय में चल रही दो अंतर्राष्ट्रीय कार्यशालाओं का मंगलवार को समापन हो गया। पहली 15 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला जिसका मुख्य विषय ‘गुणात्मक और मात्रात्मक फसल उपज बढ़ाने के लिए आधुनिक जैव रासायनिक और जीनोमिक उपकरणों का अनुप्रयोग’ रहा, जबकि दूसरी 10 दिवसीय कार्यशाला का मुख्य विषय ‘अनुवाद अध्ययन: एक अवलोकन’ रहा। दोनों कार्यशालाओं के मुख्य सरंक्षक विश्वविधालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर कम्बोज रहे।

मुख्य अतिथि प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा की समय-समय पर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित की जा रही कार्यशालाएं शोधार्थियों के ज्ञान में वृद्धि व अंतर्राष्ट्रीय एक्सपोजर बढ़ाने में सहायक है। उन्होंने प्रतिभागियों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में कार्यशालाओं में भाग लेकर सीखने और प्राप्त ज्ञान व नवाचारों को व्यवहारिकता में लाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ आपसी सहयोग के लिए समझौते किए, जिनके तहत वैज्ञानिक और शोधार्थी विदेश में जाकर आधुनिक तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण ले सकें और विदेशी वैज्ञानिक इस विश्वविद्यालय में आकर नई तकनीकें व जानकारी प्राप्त कर सकें।

प्रो. कम्बोज ने देश-विदेश के संस्थानों से आए प्रख्यात वैज्ञानिकों का आभार जताया। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय से आए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. देवकी नंदन और पोलैंड के वारसॉ विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर डॉ. टकाओ इशिकाव ने प्रशिक्षकों की भूमिका निभाई।

कनाडा से पहुंचे अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक डॉ देवकी नंदन ने अपने अनुभव सांझा करते हुए कार्यशाला में भाग ले रहे शोधार्थियों को समय का सदुपयोग और नया सोचने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक जैव रासायनिक और जीनोमिक उपकरणों के अनुप्रयोग ने कृषि के क्षेत्र में क्रांति ला दी है जो कृषि वैज्ञानिकों को उन्नत गुणात्मक व मात्रात्मक उपज विशेषताओं के साथ नई फसल किस्मों को विकसित करने में सक्षम बनाती है।

पोलेंड से पहुंचे डॉ. टकाओ इशिकावा ने कहा कि कार्यशाला में आयोजित तकनीकी सत्रों में दिए व्याख्यानों से प्रतिभागियों को विभिन्न प्रकार के जीन और एंजाइमों की पहचान कर फसलों के लक्षणों में सुधार करने के लिए सक्षम बनाएगा। इस कार्यशाला के आयोजन सचिव भाषा एवं हरियाणवी संस्कृति विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अपर्णा और डॉ. पूनम मोर रही। समापन समारोह में पाठ्यक्रम निदेशक और मौलिक विज्ञान और मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. नीरज कुमार ने सभी का स्वागत किया और कार्यशालाओं की रिपोर्ट प्रस्तुत की। पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. केडी शर्मा ने धन्यवाद किया।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव

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