हिसार :दुनिया को वेद के सिद्धांत को स्वीकार करना ही होगा : प्रो. धर्मेन्द शास्त्री
आर्य समाज के वार्षिकोत्सव में विद्वानों ने बताया वेद का महत्व
हिसार, 4 अक्टूबर (हि.स.)। आर्य समाज के प्रमुख विद्वान प्रोफेसर धर्मेन्द्र शास्त्री ने कहा है कि ऋग्वेद दुनिया की सबसे पुरानी पुस्तक है। इस बात को संसार ने स्वीकार कर लिया है और हम अपने इन अनमोल ग्रंथों को छोडक़र दूसरे सिद्धांतों की पुस्तकों को पढऩे-पढ़ाने पर लगे हैं। आज नहीं तो कल दुनिया को वेद को पढक़र वेद के सिद्धांत को स्वीकार करना ही होगा।
प्रो. धर्मेन्द्र शास्त्री शुक्रवार को आर्य समाज, मॉडल टाउन हिसार के 72वें वार्षिकोत्सव के तीसरे दिन वेद के महत्व से अवगत करवा रहे थे। इससे पहले आचार्य सूर्यदेव वेदांशु के ब्रह्मत्व में हवन-यज्ञ किया गया जिसमें राजकुमार डुडेजा, राज वर्मा, अशोक गौतम, सपत्नीक एवं साधना मेहता और निर्भय अरोड़ा, अमित अरोड़ा ने यजमान बनकर यज्ञ में आहुतियां प्रदान की। प्रो. धर्मेन्द्र ने कहा कि इन्हीं सिद्धांतों से पूरे संसार में शांति संभव है। इसके अतिरिक्त धरती पर कोई अन्य पुस्तक ऐसी नहीं है। आओ वेदों की ओर लौटें।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल ने भी उपस्थित होकर यज्ञ में आहुतियां दीं। इसके बाद आयोजित भजन व प्रवचनों के कार्यक्रम में हस-हस जग में जिया करो, वेद का अमृत पिया करो। जो दुनिया का वाली है, बस नाम उसी का लिया करो.. .. भजन सुना कर मेरठ से पधारे संदीप आर्य ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर जगदीश प्रसाद आर्य, गंगादत्त अहलावत, वीरेंद्र आर्य, रामपाल आर्य, सुरेंद्र बेरवाल, आनंद गर्ग, निर्मला देवी, सविता वेदांशु, सुनीता सहारण, कंचन डुडेजा, इंद्रा जावा, आशा मदान सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर
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