सोनीपत: सतगुरु का विचार ही सिद्धांत है: डा: विजय शर्मा

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सोनीपत: सतगुरु का विचार ही सिद्धांत है: डा: विजय शर्मा


सोनीपत: सतगुरु का विचार ही सिद्धांत है: डा: विजय शर्मा


सोनीपत, 7 अप्रैल (हि.स.)। संत निरंकारी मिशन के दार्शनिक संत डा. विजय शर्मा ने कहा कि सत्संग की किसी से तुलना नहीं होती, यह ज्ञान सतगुरु की कृपा से मिलता है। जैसा है जहां है के आधार पर स्वीकार करना होगा। यह जीवन की सच्चाई है कि सतगुरु का यही विचार सिद्धांत है। डा. शर्मा रविवार को संत निरंकारी सत्संग भवन के सभागार में आयाेजित सत्संग समारोह में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का यह मानव कल्याण के लिए संदेश लेकर आपके मध्य आए हैं। बाबा अवतार सिंह जी ने 1964 में कहा था गुरु की शिक्षा अपने घरों से शुरु करें। गुरु की आज्ञानुसार जीवन जीने वालों को खुशहाली मिलती है। सेवा से जुडें तो सभी सम्मान देते हैं, पूरे संसार में संत से जब संत मिलते हैं प्रेम जागृत होता है, सम्मान करने की चाहत होती है।

उन्होंने कहा कि सतगुरु शरीर नहीं ज्ञान होता है। 24 अप्रैल को बाबा गुरबचन सिंह ने नश्वर शरीर त्यागा तो बाबा हरदेव सिंह के रुप में प्रकट होकर सत्य का प्रचार शुरु किया उस वक्त पूरे विश्व में एकत्व विचार को गति मिली। वर्तमान में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का संदेश है कि इस प्रभु को निराकार को जानने के साथ साथ अपने जीवन में उतार लो। यह सर्वगुण संपन्न है, निर्गुण है, यही निराकार है। तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपति। हमें ग्रंथों से कथाओं से यह सबके स्वामी उषा शर्मा ने कहा कि रटन नहीं समर्पण का नाम भक्ति है। हमेशा साथ रहने वाले का ध्यान करें तो गलती की संभावना कम होगी। बोलना सुनना तो है पर महत्वता तब है जब प्रभु का शुकराना करते हुए बोल को व्यवहार में लाएं।

हिन्दुस्थान समाचार/ नरेंद्र/संजीव

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