हिसार: स्थापित सिद्धांतों से अलग नए शोध व अनुसंधान करें शोधार्थी: प्रो. नरसी राम बिश्नोई
हिसार, 13 मार्च (हि.स.)। गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि अंतर्विषयक शोध समय की जरूरत है। अंतर्विषयक शोध के लिए आवश्यक है कि अन्य विषयों से संबंधित शोध उपकरणों का प्रयोग भी शोधार्थियों को आना चाहिए। वे बुधवार को विश्वविद्यालय की डा. एपीजे अब्दुल कलाम सेन्ट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन लैब (सीआईएल) के सौजन्य से 'एडवांसड एनालीटिकल टेक्निक्स-24' विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. विनोद कुमार छोकर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता सीआईएल के निदेशक तथा कार्यशाला के संयोजक प्रो. मुनीष आहुजा ने की। सीआईएल के उपनिदेशक तथा कार्यशाला के आयोजन सचिव प्रो. सीपी कौशिक तथा प्रो. मनीष कुमार भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। कार्यशाला में हरियाणा तथा अन्य राज्यों के 40 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि शोध उपकरणों की तकनीक तेजी से बदल रही है। समय के साथ जहां शोध उपकरण अधिक उपयोगी तथा सुविधाजनक हुए हैं, वहीं इन उपकरणों का प्रयोग चुनौतीपूर्ण भी हुआ है। शोधार्थियों को हर प्रकार के शोध उपकरण का प्रयोग आना चाहिए। उन्होंने शोधार्थियों से कहा कि वे स्थापित सिद्धांतों से अलग नए शोध व अनुसंधान करें। तभी भारत के वैज्ञानिकों को नोबेल जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल पाएंगे। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि वे विषय विशेषज्ञों से ज्यादा से ज्यादा सीखने का प्रयास करें। विशेषज्ञों से प्रश्न करें तथा सीआईएल के अतिरिक्त अन्य विभागों की प्रयोशालाओं के उपकरणों के प्रयोग के बारे में भी सीखें।
प्रो.विनोद छोकर ने कहा कि अधिकतर एनालीटिकल टैक्निक 19 और 20वीं सदी के मध्य विकसित हुई हैं। तकनीकों के विकास में विज्ञान की मुख्य भूमिका है। उन्होंने कहा कि तकनीक ने ही मानव जीवन को सुगम बनाया है। शोधार्थियों को नई तकनीक खोजने के लिए प्रयास करना चाहिए। इस क्षेत्र में रोजगार व अनुसंधान की अपार संभावनाएं हैं।
प्रो. मुनीष आहुजा ने अपने स्वागत संबोधन में बताया कि विश्वविद्यालय की सीआईएल लैब शोध तथा अनुसंधान के लिए देश भर के 75 संस्थानों को सुविधा उपलब्ध करवा रही है। लैब द्वारा शोध से संबंधित विभिन्न विषयों पर सर्टिफिकेट कोर्स आरंभ किए जाने की योजना भी है। प्रो. सीपी कौशिक ने कार्यशाला के बारे में विस्तार से जानकारी दी तथा विषय से संबंधित बिंदुओं के बारे में बताया।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/सुमन/संजीव
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