सोनीपत: साधना हमारे आंतरिक बंधनों को तोड़ती है: डॉ. श्री मणिभद्र महाराज

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सोनीपत: साधना हमारे आंतरिक बंधनों को तोड़ती है: डॉ. श्री मणिभद्र महाराज


सोनीपत, 16 अगस्त (हि.स.)। नेपाल केसरी राष्ट्र संघ मानव मिलन के संस्थापक जैन मुनि डॉ.

श्री मणिभद्र महाराज ने कहा कि स्वतंत्रता का अर्थ केवल बाहरी दुनिया से मुक्ति प्राप्त

करना नहीं होता, बल्कि इसका गहरा संबंध हमारे आंतरिक मनोबल और आत्मिक अवस्था से भी

होता है। अपने कर्मों से स्वतंत्र होने के लिए हमें साधना करनी चाहिए।

शुक्रवार को डॉ. श्री मणिभद्र जी महाराज सेक्टर 15 स्थित जैन

स्थानक में आयोजित चातुर्मास के दौरान भक्तजनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा

कि हमें अपनी आंतरिक प्रवृत्तियों और कर्मों के प्रभाव से मुक्ति प्राप्त करने के लिए

साधना करनी है। आध्यात्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से, स्वतंत्रता का मतलब है आत्मा

की वास्तविक स्थिति को जानना और उससे जुड़ना है। साधना तो आत्मा की खोज और आंतरिक उन्नति

की प्रक्रिया। यह आत्मज्ञान प्राप्त करने, मानसिक शांति प्राप्त करने और आध्यात्मिक

विकास के लिए किए गए प्रयासों का संगठित रूप है। कर्मों से स्वतंत्र होने के लिए हमें

आत्मबाेध करना हैै।

कार्यक्रम के दौरान नेपाल से पहुंची ऊर्जा जल स्रोत निवर्तमान

मंत्री सरस्वती तिवारी का पूर्व कैबिनेट मंत्री कविता जैन द्वारा स्वागत किया गया।

नेपाल से पूर्व नगर प्रमुख दिलीप प्रताप, गरिमा विकास बैंक के अध्यक्ष श्याम प्रसाद

व्सयाल, मानव मिलन संस्था मेरठ से संदीप जैन, मनीष जैन, नितिन जैन, आयुष जैन, बिमला

देवी सूवेदी, एसएस जैन सभा प्रधान महावीर जैन, मंत्री भूषण जैन, पूर्व मंत्री कविता

जैन, राजीव जैन आदि इस दौरान शामिल रहे।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र परवाना / सुमन भारद्वाज / SANJEEV SHARMA

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