जीवन में आगे बढऩे के लिए सभी जीवन कौशल सिखाते हैं रामायण व श्री राम:नरसी राम

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जीवन में आगे बढऩे के लिए सभी जीवन कौशल सिखाते हैं रामायण व श्री राम:नरसी राम


‘रामायण से जीवन कौशल’ विषय पर कहानी प्रतियोगिता ‘श्री राम-कथांजलि’ का आयोजन

हिसार, 20 जनवरी (हि.स.)। अयोध्या में श्री राम लला प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक प्रसंग को समर्पित करते हुए गुरु जम्भेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सैल के मार्गदर्शन में चलने वाले स्पीकाथॉन क्लब ने ‘रामायण से जीवन कौशल’ विषय पर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में कहानी प्रतियोगिता ‘श्री राम-कथांजलि’ का आयोजन किया।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरसी राम बिश्नोई ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए स्पीकाथॉन क्लब को बधाई देते हुए कहा कि अयोध्या में नए बने श्रीराम मंदिर में होने वाली श्री राम लला प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर आयोजित यह प्रतियोगिता विशेष महत्व रखती है। उन्होंने कहा कि श्रीराम और रामायण के अन्य पात्रों के जीवन से, छात्र संपूर्ण मानव बनने और अपने जीवन में आगे बढऩे के लिए आवश्यक सभी जीवन कौशलों को सीख सकते हैं।

कुलसचिव प्रोफेसर विनोद छोकर ने सभी प्रतिभागियों को बधाई दी, जिन्होंने रामायण की विभिन्न कंपनियों और उनके सकारात्मक संदेशों को मौजूदा संदर्भ में बयां किया। उन्होंने सभी छात्रों से इस प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक इवेंट को पूरी उत्साह के साथ मनाने के लिए भी आग्रह किया।

विश्वविद्यालय के कॉर्पोरेट-एकेडमिया सलाहकार विमल कुमार झा इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। एचएसबी की डॉ. संगीता, फार्मेसी विभाग के डा. मनोज मेडल और इंग्लिश विभाग की डॉ. पल्लवी निर्णायक मंडल के सदस्य थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्लेसमेंट निदेशक डॉ. प्रताप सिंह ने की। कार्यक्रम में 31 प्रतिभागी सहित 70 से अधिक विद्यार्थी सहभागी हुए।

छात्रों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि विमल कुमार झा ने आज के युग में विभिन्न जीवन कौशल गुणों को सीखने के लिए श्रीराम और रामायण के अन्य पात्रों से जुडऩे के महत्व को महसूस कराया। उन्होंने कहा कि रामायण की हर कहानी धैर्य, सहनशीलता, प्रतिबद्धता, कड़ी मेहनत, मित्रता, प्रेम, सामाजिक समरसता, संगठन कौशल, सहानुभूति, सहानुभूति और कई और जीवन कौशलों का जीवंत उदाहरण हैं।

अतिथियों का स्वागत करते हुए निदेशक डॉ. प्रताप सिंह ने बताया कि जीवन कौशल कैरियर के हर क्षेत्र में सबसे आवश्यक कौशल हैं, और इन जीवन कौशलों को छात्रों में निर्माण करने के लिए सजीव उद्धरण सर्वाधिक उपयोगी हैं और रामायण ऐसे सजीव उदाहरणों से परिपूर्ण स्रोत है।

विभिन्न विभागों से कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने राम जी द्वारा वनवास की सहर्ष स्वीकृति, भरत के त्याग, हनुमान जी का समर्पण, राम-सुग्रीव दोस्ती, श्रीराम की शबरी से मुलाकात, केवट-राम वार्ता, बालि निर्दलन, रावण के साथ जटायु का संघर्ष और बहुत से अन्य प्रसंग सुनाये और साथ ही उन प्रसंगों से सीखने वाले गुणों को भी रेखांकित किया।

निर्णायकों ने कहानी प्रतियोगिता के विभिन्न पैरामीटर जैसे सामग्री की गुणवत्ता, प्रस्तुतिकरण की गुणवत्ता, रचनात्मकता और बॉडी लैंग्वेज के बारे में विस्तार से बताया और प्रतिभागियों से अपने कौशलों को निखारने के लिए ऐसी प्रतियोगिताओं में अधिकाधिक भगा लेने की अपील की।

सहायक निदेशक डॉ. आदित्य वीर ने बताया कि मनोविज्ञान विभाग से भूमिका, सीएसई विभाग से आकाश और एचएसबी से भावना मित्तल ने हिंदी श्रेणी में क्रमश: पहला, दूसरा और तीसरा पुरस्कार जीता और फार्मेसी विभाग से मोनिका, गणित विभाग से सोनू और इकनॉमिक्स विभाग से काशिश ने अंग्रेजी श्रेणी में पहला, दूसरा और तीसरा पुरस्कार प्राप्त किया। रिया और प्रतिमा ने मंच संचालन किया जबकि हितेश ने इस कार्यक्रम को कार्यक्रम समन्वयक के रूप में संचालित किया, जिसमें गरिमा भाटिया, प्रतिभा और भूमिका की सहभागिता रही।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर

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