सोनीपत: निर्माही अखाड़ा मठ में स्वामी रामानंद स्वामी की प्रतिमा स्थापित होगी
-उत्तर भारत में पहली बार खांडा के निर्मोही अखाड़ा मठ में स्वामी रामानंद जी की प्रतिमा स्थापित की जा रही है
-भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी एवं निर्मोही अखाड़ा के मुख्य सलहकार राज सिंह ने जानकारी दी
सोनीपत, 7 अप्रैल (हि.स.)। खरखौदा के गांव खांडा के निर्मोही अखाड़ा मठ में 15वीं शताब्दी के संत स्वामी रामानंद जी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। स्वामी रामानंद जी ने राम भक्ति के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया उनकी वाणी गुरु ग्रंथ साहब में शामिल की गई है। रविवार को यह जानकारी भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी एवं निर्मोही अखाड़ा के मुख्य सलाहकार राज सिंह ने दी है।
राज सिंह ने बताया कि रामानंदी संप्रदाय के संस्थापक स्वामी रामानंद जी को राम भक्ति को संपूर्ण उत्तर भारत में विस्तार किया। सामाजिक सुधार में योगदान दिया। उनकी मान्यता रही कि हर व्यक्ति को भक्ति और पूजा पाठ करने का अधिकार है। भक्ति का जाति से कोई संबंध नहीं है। स्वामी रामानंद जी एक तमिल ब्राह्मण थे उत्तर भारत उनका धर्म प्रचार का क्षेत्र रहा।
उन्होंने सभी जातियों के व्यक्तियों को धर्म की दीक्षा दी। जिनमें धन्ना जाट, कबीर, सैन भक्त, राजा पीपाजी अनंतानंद आदि संत शामिल थे। लंदन विश्वविद्यालय के शोध दै फाइंडिंग ऑफ रामानंदी सैक्ट के अनुसार जाति प्रथा को खत्म करने का यह प्रथम संगठित प्रयास था। स्वामी रामानंद जी ने स्वामी रामानुजाचार्य की परंपरा को कुछ संशोधन के साथ आगे बढ़ाया। स्वामी रामानुजाचार्य के संप्रदाय में जहां भक्ति का मुख्य केंद्र भगवान विष्णु थे। रामानंदी संप्रदाय के अनेक अखाड़े हैं इसी को वैष्णव या बैरागी अखाड़े भी कहते हैं। निर्मोही अखाड़ा उनमें से एक प्रसिद्ध अखाड़ा है। उत्तर भारत में पहली बार खांडा के निर्मोही अखाड़ा मठ में स्वामी रामानंद जी की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। स्वामी रामानंद जी की प्रतिमा स्थापित करने का उद्देश्य सर्वजाति समभाव का संदेश देना है।
हिन्दुस्थान समाचार/ नरेंद्र/संजीव
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