हिसार: विपश्यना ध्यान मन की शुद्धि और आत्मा के साथ साक्षात्कार : आचार्या मां धर्मज्योति
हिसार, 17 दिसंबर (हि.स.)। ओशो सिद्धार्थ फाउंडेशन के तत्वाधान में ओशोधारा मैत्री संघ ने अपने कौशिक नगर स्थित साधना केंद्र में संडे ध्यान का कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में आचार्या मां धर्मज्योति ने विपश्यना ध्यान करवाया।
आचार्या ने बताया कि विपश्यना ध्यान, एक प्राचीन बौद्ध ध्यान पद्धति है जो शान्ति और आत्म-समर्पण की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से विकसित की गई है। यह ध्यान पद्धति भारतीय महापुरुष गौतम बुद्ध द्वारा बताई गई थी और इसे विपश्यना या विशेष देखना के रुप में जाना जाता है। विपश्यना ध्यान का मुख्य उद्देश्य मन की शुद्धि और आत्मा के सत्य का अनुभव करना है। इस ध्यान पद्धति में ध्यानकर्ता को अपने शरीर, श्वास, और मन के प्रति सच्चाई से सम्बंधित रुप से ध्यान केंद्रित करने के लिए उत्तेजित किया जाता है।
यह ध्यान विशेष रूप से अपने अंतर्मन की सत्य निरीक्षण के माध्यम से आत्म-जागरुकता और स्वाध्याय को बढ़ावा देता है। विपश्यना ध्यान का अभ्यास साधक को स्वयं की मानवीयता को समझने और स्वीकार करने की प्रक्रिया में मदद करता है। यह ध्यान कई लोगों के लिए आत्मा की गहरी अनुभूति और आत्मा के शांति की प्राप्ति में सहायक हो सकता है। ध्यान के बाद हरियाणा के संयोजक आचार्य सुभाष ने बताया कि ओशोधारा के सारे कार्यक्रम आध्यत्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत ही उच्च कोटि के हैं और हर घर ध्यान, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ओशोधारा ने हर सप्ताह देश में कहीं न कहीं तीन दिवसीय कार्यक्रम रखना तय किया है। हरियाणा में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव
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