लैंगिक समानता के लिए ‘थर्ड जेंडर’ का सम्मान भी जरूरी : प्रो. दीप्ती धर्मानी

WhatsApp Channel Join Now
लैंगिक समानता के लिए ‘थर्ड जेंडर’ का सम्मान भी जरूरी : प्रो. दीप्ती धर्मानी


लैंगिक समानता के लिए ‘थर्ड जेंडर’ का सम्मान भी जरूरी : प्रो. दीप्ती धर्मानी


लैंगिक समानता के लिए ‘थर्ड जेंडर’ का सम्मान भी जरूरी : प्रो. दीप्ती धर्मानी


‘सलाम नारी हो’ कार्यक्रम का आयोजन,

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की अध्यक्षता

विश्वविद्यालय की प्रथम महिला डा. वंदना बिश्नोई रही विशिष्ट अतिथि के रूप

में उपस्थित

हिसार, 15 अप्रैल (हि.स.)। चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय, भिवानी की कुलपति

प्रो. दीप्ती धर्मानी ने कहा है कि जब हम जेंडर समानता की बात करते हैं, तो हमें ‘थर्ड

जेंडर’ को भी नहीं भूलना चाहिए।

हम एक ऐसा जागरूकता अभियान चलाएं, जिससे अब तक हाशिये पर खड़ा थर्ड जेंडर समाज मुख्य

धारा का हिस्सा बने और नर व नारी दोनों के साथ मिलकर समाज व राष्ट्र के उत्थान में

अपना योगदान दे।

प्रो. धर्मानी मंगलवार काे यहां के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

की महिला सेल, महिला क्लब तथा राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित

सलाम नारी को’ कार्यक्रम को मुख्य

अतिथि के तौर पर संबोधित कर रही थी। विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार में

हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने

की जबकि विश्वविद्यालय की महिला क्लब की संरक्षक व विश्वविद्यालय की प्रथम महिला डा.

वंदना बिश्नोई विशिष्ट अतिथि रही। महिला सेल की अध्यक्षा प्रो. दीपा मंगला तथा राष्ट्रीय

सेवा योजना की समन्वयक डा. अंजू गुप्ता भी मंच पर उपस्थित रही।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने इस अवसर पर कहा कि नारी ने न केवल समाज को

आकार दिया है, बल्कि राष्ट्र निर्माण की यात्रा को दिशा भी दी है। दुनिया की आधी आबादी

के बिना सृजन, संवेदन और संस्कार की कल्पना ही अधूरी होगी। ‘सलाम नारी को’ केवल एक नारा नहीं,

बल्कि एक दृष्टिकोण, संस्कार और संकल्प है। नारी शक्ति केवल परिवार की धुरी नहीं, वह

समाज, संस्कृति, शिक्षा, विज्ञान, नेतृत्व, प्रशासन हर क्षेत्र में परिवर्तन की वाहक

है।

विश्वविद्यालय की प्रथम महिला डा. वंदना बिश्नोई ने अपने संबोधन में महिलाओं

से आह्वान किया कि वे अपने आत्म विश्वास को बनाए रखें और आगे बढ़ें। अपनों को साथ लेकर

चलें। अपनों को साथ लेकर चलने से आत्म विश्वास बढ़ता है। उन्होंने कहा कि कठिन मेहनत

केवल प्रतियोगिता में विजयी होने के लिए नही, बल्कि अपने कौशल को श्रेष्ठता देने के

लिए करें। महिला विकास एक मिशन और स्वपन है और लगातार चलने की प्रक्रिया है।उन्होंने इस आयोजन को मातृशक्ति के योगदान को पहचान

देने की दिशा में एक कदम बताया तथा कहा कि विश्वविद्यालय में इस प्रकार के आयोजन आगे

भी किए जाते रहेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

Share this story