पलवल: यमुना बचाओ पदयात्रा अभियान की हुई शुरुआत
पलवल, 4 दिसंबर (हि.स.)। यमुना बचाओ अभियान (वॉक फ़ोर यमुना) के संयोजक डॉ. शिव सिंह रावत ने राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के अवसर पर यमुना नदी बचाने के अभियान की सोमवार को शुरुआत कर लोगों जागरूक किया। उन्होंने बताया कि यमुना नदी भारत की पवित्र नदियों में से एक है। इसका धार्मिक और सामाजिक-आर्थिक महत्व है।
भारतीय संस्कृति में, नदियों को केवल भौगोलिक इकाई या जल निकायों के रूप में ही नहीं देखा जाता है, बल्कि जीवनदायिनी देवी के रूप में भी पूजा जाता है। यमुना नदी राधा और कृष्ण के निश्छल प्रेम का प्रतीक है। यह अत्यधिक उपजाऊ मैदान का निर्माण करती है। यमुना के स्वच्छ और सुरक्षित (निर्मल) जल; और निर्बाध प्रवाह (अविरल) जल का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों- पीने, घरेलू, औद्योगिक और सिंचाई के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों के लिए किया जाता रहा है। यमुना 3,66, 223 वर्ग किलोमीटर बेसिन को सिंचित करती है और 128 मिलियन लोगों की पानी की आपूर्ति करती है।राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की 70% से अधिक जल आपूर्ति करती है।
यमुना नदी की समस्या के बारे में डॉ रावत ने सोमवार को बताया कि दुर्भाग्य से, जनसंख्या और औद्योगीकरण में वृद्धि के साथ, यमुना देश की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक बन गई है। दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से औद्योगिक अपशिष्ट, नगरपालिका सीवेज, ठोस अपशिष्ट (प्लास्टिक, बोतलें, पॉलिथीन बैग, धार्मिक अपशिष्ट, शव) और कृषि अपवाह (उर्वरक और कीटनाशक) ने यमुना के पानी को ज़हरीला बनाया है और इसे अत्यधिक प्रदूषित नाले में बदल दिया। यह स्थिति अवैध खनन (एनजीटी द्वारा प्रतिबंध के बावजूद), यमुना में कम प्रवाह और यमुना बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण के कारण और भी गंभीर हो गई है। इससे अनेक समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं-
हिन्दुस्थान समाचार/ गुरुदत्त/संजीव
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