पलवल :बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक है दशहरा:मंगला

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पलवल :बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक है दशहरा:मंगला


पलवल :बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक है दशहरा:मंगला


पलवल, 24 अक्टूबर (हि.स.)। असत्य पर सत्य की व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला पर्व विजय दशमी (दशहरा) मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया। हर वर्ष की भांति इस साल भी विजय दशमी के दिन रावण दहन का आयोजन प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से बड़े धूमधाम से किया गया। विधायक दीपक मंगला ने मंगलवार को विजय दशमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत कर वहां उपस्थित लोगों को संबोधित किया।

दीपक मंगला ने कहा कि विजय दशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। हम बाहर रावण को पुतला तो जलाकर यह बता तो देते है कि बुराई की हमेशा हार और अच्छाई की हमेशा जीत होती है। लेकिन हम अपने अंदर की बुराई को खत्म करने के बारे में नहीं सोचते। विजय दशमी बहुत ही सुबह और ऐतिहासिक पर्व है हम सबको इस दिन अपने अंदर के रावण का खत्म कर ख़ुशी के साथ यह पर्व मनाना चाहिए। इस पावन अवसर पर श्री सनातन धर्म दशहरा कमेटी के संयोजन में महर्षि दयानंद चौक स्थित नेता जी सुभाष चंद्र बोस स्टेडियम में भगवान राम के स्वरूप ने रावण को पलभर में धराशायी कर दिया।

भगवान राम ने बंधु-बांधवों सहित लंकेश के पुतले का दहन किया। इससे पूर्व हनुमान जी ने लंका का दहन किया। हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में करीब घंटे भर तक चले रावण दहन के कार्यक्रम में दर्शकों ने एक से बढ़कर एक आतिशबाजी का आनंद उठाया। इस मौके पर दशहरा मैदान में रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले दहन के साथ सामाजिक बुराइयों को खत्म करने का संकल्प लिया।

अहंकार और अधर्म के प्रतीक रावण, मेघनाद व कुंभकरण के पुतलों जब दहन किया गया तो दशहरा मैदान श्रीराम के जयघोष से गूंज उठा। आतिशबाजी और पटाखों की तेज आवाज के साथ रावण के पुतलों का दहन किया गया। रावण दहन से पहले भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमान जी की मनमोहक झांकियों की शोभायात्रा निकाली गई। कई दशहरा मैदानों में राम-रावण संवाद और राम रावण के बीच भीषण युद्ध के मंचन के बाद ही पुतलों को अग्नि दी गई।

दशहरा मैदान के मेलों में बच्चों की मस्ती

दशहरा मैदानों में बच्चों ने खूब मस्ती की। बच्चों के लिए मेलों में झूले, ऊंट-हाथी की सवारी, खेल खिलौने, चाट पकौड़ी का भरपूर इंतजाम था। कुछ बच्चे झूलों पर व्यस्त रहे, तो कुछ सवारी करने में व्यस्त रहे। दशहरा मेले की वजह से दशहरा मैदान की सड़कों पर नो एंट्री की गई। बुधवार सुबह ही लोग अपने बच्चों को मेला घूमाने पहुंचने लगे। लोगों ने बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले दहन के सेल्फी ली।

हिन्दुस्थान समाचार/गुरुदत्त

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