हिसार: अदालत ने रेप व अपहरण के मामले की क्लोजर रिपोर्ट में दोबारा जांच के आदेश दिए

हिसार: अदालत ने रेप व अपहरण के मामले की क्लोजर रिपोर्ट में दोबारा जांच के आदेश दिए
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हिसार: अदालत ने रेप व अपहरण के मामले की क्लोजर रिपोर्ट में दोबारा जांच के आदेश दिए


अदालत ने हांसी महिला पुलिस की जांच पर उठाया सवाल, दिसम्बर 2020 की घटना

हिसार, 14 मार्च (हि.स.)। अनुसूचित जाति से संबंधित एक युवती के साथ दिसंबर 2020 में हुई अपहरण व रेप की घटना के मामले में दिसंबर 2020 में दर्ज एफआईआर को हांसी महिला थाना द्वारा खारिज किए जाने पर हिसार की एससी एसटी एक्ट की अदालत ने जांच अधिकारी द्वारा अदालत में प्रस्तुत क्लोजर रिपोर्ट पर सवाल उठाया है। अदालत ने हांसी के एसपी को इस मामले में दोबारा जांच करने के आदेश दिए हैं।

पीड़ित युवती के वकील रजत कलसन ने गुरुवार को बताया कि झज्जर जिले की एक दलित युवती ने हांसी महिला थाना में हांसी के एक गांव के नो युवकों के खिलाफ उसे जबरदस्ती गाड़ी में धकेल कर रेप करने, छेड़खानी करने तथा मारपीट करने तथा चलती गाड़ी में से फेंक देने के आरोप लगाए थे तथा उक्त युवकों ने पीड़ित लड़की का फोन भी छीन लिया था। युवती की शिकायत पर महिला थाना हांसी में 17 दिसम्बर 2020 को विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था। मुकदमे की जांच नारनौंद के तत्कालीन डीएसपी जुगल किशोर ने की थी।

अधिवक्ता कलसन ने बताया कि पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में लड़की व आरोपी युवकों की लोकेशन मुकदमे में वर्णित जगह पर पाई तथा वारदात में भी गाड़ी का इस्तेमाल पाया गया। यही नहीं लड़की का छीना हुआ फोन आरोपियों द्वारा गांव धर्मखेड़ी के सरपंच के मार्फ़त पीड़ित लड़की को सुपुर्द करना पाया गया। पीड़िता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि पुलिस आरोपियों के साथ मिल गई तथा पीड़िता पर मुकदमे में समझौते के लिए दबाव बनाया। पीड़िता के खाली कागजों पर दस्तखत कराकर आरोपियों के हक में पुलिस ने खुद मनगढ़ंत बयान लिखे। यही नहीं मुकदमा वापस लेने के लिए पुलिस और आरोपियों द्वारा मुख्य युवक तथा पीड़िता की शादी ड्रामा रचा गया। शादी की आड़ में लड़की से शपथ पत्र हासिल किया गया, जिसके आधार पर पुलिस ने मुकदमे को खारिज कर दिया।

पीड़िता की तरफ से अदालत में बहस करते हुए अधिवक्ता रजत कल्सन ने कहा कि रेप, अपहरण तथा एससी एसटी एक्ट जैसे गंभीर आरोप नोंन कंपाउंडेबल अपराधों की श्रेणी में आते हैं, जिसमें पुलिस को किसी भी हालत में समझौता करने का अधिकार ही नहीं है। जांच अधिकारी द्वारा पीड़िता पर जबरन समझौते का दबाव बनाया गया। पीड़ित पक्ष की दलील सुनने के बाद अदालत ने इस मामले में हांसी के एसपी को पुनः जांच करने के आदेश दिए हैं तथा अदालत में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव

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