नूंह: भारत-पाक के बीच जंग लडऩे वाले सूबेदार पूर्णमल ने हजारों लोगों की बुराइयां छुड़ाई
-1971 में भारत-पाकिस्तान की जंग में निडरता से लड़ी थी लड़ाई
-भारतीय सेना से सूबेदार के पद से सेवानिवृत हुए थे पूर्णमल
नूंह/गुरुग्राम, 21 जनवरी (हि.स.)। वर्षों तक देश की सेवा में बॉर्डर पर तैनात रहे भारतीय सेना के सूबेदार पूर्णमल सेवानिवृत होकर समाजसेवा में भी उसी तरह से सक्रिय रहे। डेरा सच्चा सौदा से जुडक़र, डेरा प्रेमी रोशन लाल इंसा के साथ उन्होंने ऐसे लोगों का जीवन संवारने का काम किया, जो या तो नशों की लत के शिकार थे या फिर अन्य बुराइयों में डूबे थे। इन सब कार्यों को करते-करते रिटायर्ड सूबेदार पूर्णमल अब अपनी सांसारिक यात्रा पूरी करके मालिक के चरणों में जा विराजे हैं। सेना में रहते हुए उन्होंने 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई जंग में जांबाजी दिखाई थी।
गांव मालब निवासी 85 मेंबर नरेंद्र इंसा ने बताया कि उनके पिता श्री पूर्णमल ने भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा की। सूबेदार (एएमसी) के पद से वे सेवानिवृत हुए। वर्ष 1992 में उन्होंने डेरा सच्चा सौदा के गद्दीनशीन पूज्य गुरूजी संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा से नाम की दीक्षा ली। सेवा के जुनून के चलते वे सदा ऐसे लोगों को डेरे की दहलीज तक लाते रहे, जो या तो नशों की लत के शिकार थे या अन्य बुराइयां के चंगूल में थे। एक-एक करके उन्होंने करीब 5000 लोगों को डेरा सच्चा सौदा ले जाकर पूज्य गुरूजी से नाम की दीक्षा दिलाई और उनकी जीवन संवारा। इतनी बड़ी संख्या में नशे व अन्य बुराइयां छुड़वाकर श्री पूर्णमल मानवता की सच्ची सेवा के वाहक बनें। मेवात व इसके साथ लगते राजस्थान के क्षेत्रों से भी वे लोगों को डेरा सच्चा सौदा लेकर जाते थे। बीती 18 जनवरी 2024 को उन्होंने अपनी सांसारिक यात्रा पूर्ण की और मालिक की गोद में जा विराजे। उनके जीवन के किस्से अब कहानियां बनकर भावी पीढिय़ों को सुनाए जाएंगे। सेना में रहकर भी देश सेवा, सेना से आकर जनसेवा उनकी प्राथमिकताओं में रहा। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है। हर कोई उनकी शौर्यता को याद कर रहा है। साथ ही समाजसेवा में उनके कार्यों की सराहना कर रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/ईश्वर/संजीव
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