शुक्रवार को भी एक्यूआई में सुधार नहीं, सुबह से आसमान में छाया जहरीला धुंआ
फतेहाबाद, 3 नवम्बर (हि.स.)। धान कटाई के बाद गेहूं की बिजाई का जैसे-जैसे समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे खेतों को खाली करने के लिए किसान पराली जला रहे है। पिछले तीन दिनों से जिले में प्रशासन द्वारा की जा रही तमाम सख्ती की परवाह न करते हुए किसान जमकर पराली जला रहे है। इसका असर यह है कि शहर में दिनभर आसमान में जहरीला धुंआ छाया हुआ है। शुक्रवार सुबह भी फतेहाबाद में यही हालात रहे।
सुबह जैसे ही लोग घरों से बाहर आए तो चारों तरफ धुंआ ही धुंआ था। ऐसे में लोगों को जहां सांस लेने में परेशानी हो रही थी वहीं आंखों में जलन के साथ पानी निकल रहा था। सबसे ज्यादा परेशानी अस्थमा से पीडि़त मरीजों को उठानी पड़ रही है। फतेहाबाद में शुक्रवार को भी अधिकतर एक्यूआई 482 दर्ज किया गया वहीं इसका न्यूनतम स्तर 412 रहा। प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। सुबह और शाम के समय यह लेवल एकदम बढ़ता है, क्योंकि अधिकतर फसली अवशेष शाम के बाद ही जलाए जा रहे हैं। देश के सबसे प्रदूषित शहरों में फतेहाबाद टॉप पर है।
बता दें कि जिले में धान कटाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। जिन क्षेत्रों में बाढ़ के कारण देरी से धान की बिजाई हुई थी, केवल उन्हीं क्षेत्रों में धान की कटाई चल रही है। धान कटाई के बाद से ही किसान खेतों में गेहूं बिजाई की तैयारियों में लग जाते हैं। ऐसे में किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या धान की फसल के अवशेष यानि पराली का निपटान रहता है। पराली को खेत से निकालना किसानों को काफी महंगा पड़ता है, ऐसे में किसान सबसे सस्ता रास्ता अपनाते हुए शहर में पड़े फसल अवशेषों को आग लगा देते हैं। पराली जलने से उठने वाला धुंआ मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।
हिन्दुस्थान समाचार/अर्जुन/संजीव
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