नारनौलः आशा, अवसर और विकास की संभावनाओं से भरपूर है राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः ला गणेशन

नारनौलः आशा, अवसर और विकास की संभावनाओं से भरपूर है राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः ला गणेशन
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नारनौलः आशा, अवसर और विकास की संभावनाओं से भरपूर है राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः ला गणेशन


-राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से भारत विश्व स्तर पर लहरायेगा परचमः प्रो. अनिल शुक्ला

नारनौल, 14 मार्च (हि.स.)। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि) महेंद्रगढ़ में गुरुवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति और उच्च शिक्षण संस्थानों का संर्वधन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। सामाजिक विज्ञान, अनुसंधान एवं विकास परिषद् (आईसीएसएसआर) के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप नागालैंड के राज्यपाल ला गणेशन ने किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला व विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रो. सुषमा यादव भी मौजूद रहे।

नागालैंड के राज्यपाल ला गणेशन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विषय में कहा कि इस नीति में मुख्य रूप से मातृभाषा में शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से सफलता का मार्ग प्रशस्त किया गया है। यह नीति शिक्षा और रोजगारपरकता के बीच के अंतर को खत्म करने वाली है। उन्होंने कहा कि यह नीति नवाचार, अनुसंधान के माध्यम से प्रगति व विकास हेतु आवश्यक इको-सिस्टम विकसित कर रचनात्मकता व रोजगार की संभावनाओं को विकसित करने वाली है। उन्होंने अपने संबोधन में आंत्रप्रयोनरशिप के विकास और युवाओं को समस्याओं के निदान कौशल में निपुण बनाने में इस नीति में योगदान पर जोर दिया। उन्होंने विकसित भारत के निर्माण के लिए भारत के हर बच्चे को शिक्षित बनाने पर जोर दिया। उन्होंने पुरातन भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला और नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण व उसके संवर्धन की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि अब समय है कि भारत के भविष्य निर्माण की ओर अग्रसर हों और इस शिक्षा नीति के माध्यम से यह लक्ष्य कठिन नहीं है।

दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 21वीं सदी की गीता बताते हुए कहा कि इस शिक्षा नीति के माध्यम से भारत एक बार फिर से विश्व स्तर पर अपना परचम लहराने के लिए सक्षम होने जा रहा है। उन्होंने शिक्षकों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस प्रयास में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। शिक्षक ऐसी शिक्षा व्यवस्था की ओर बढ़े जो हमारी संस्कृति से जुड़ी हो और विकास के अवसर भी प्रदान करती हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इन सभी उद्देश्यों की पूर्ति करती है। कुलपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य युवाओं को नौकरी पाने वाला नहीं बल्कि देने वाला बनाना है। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया गया है जोकि एक महत्वपूर्ण बदलाव है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्याम/संजीव

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