जींद में छात्रा ने खेत में संभाला ट्रेक्टर,पिता के साथ कटवा रही गेहूं
जींद, 29 अप्रैल (हि.स.)। जिस उम्र में बेटी पिता से स्कूटी की मांग करती है, उस उम्र में डूमरखां की मुस्कान गेहूं के सीजन में तूड़ी बनाने के लिए ट्रैक्टर से रिपर चलाकर पिता का सहारा बन रही है। बेटी बेटों से कम नहीं है, यह साबित करने का काम किया है मुस्कान ने। दसवीं के पेपर दे चुकी मुस्कान अपने पिता प्रवीण के साथ काम करा रही है। चार बहनों में सबसे बड़ी मुस्कान के भाई नहीं है। अपने ताऊ के साथ खेत के कार्य से मुस्कान 9 साल की उम्र में जाती थी। खेत में जाते-जाते वो खेत में होने वाले ट्रैक्टर से कार्य को सीखती रही।
कुछ सालों से वो अपने पिता के साथ खेत की जुताई का काम करने जाने लगी। इस बार गेहूं के सीजन में रिपर से वो तूड़ी बनाने में अपने पिता का हाथ बंटवा रही है। ट्रैक्टर के कार्य से ही प्रवीण अपने परिवार का पालन पोषण करता है। मुस्कान ने कहा कि अपने पिता के सहारा बनने के लिए ट्रैक्टर चलाना सीखा, ताकि गेहूं के सीजन में कार्य कर सके। दसवीं कक्षा के बाद वो अपनी पढ़ाई जारी रखेगी। साथ में अपने पिता के काम में सहयोग करती रहेगी। उसने कहा कि हर किसी को चाहिए कि वो अपने माता-पिता का सहारा बने। जो बेटी को बेटे से कम समझते हैं वो अपनी सोच को बदलें।
आज बेटी किसी क्षेत्र में बेटे से कम नहीं है। मुस्कान ने कहा कि उसके ताऊ का सपना था कि वो पुलिस की नौकरी करे। इसलिए वो पुलिस की नौकरी पाने के लिए पूरी मेहनत करेगी, ताकि अपने ताऊ के सपने को पूरा करे। प्रवीण ने कहा कि बेटी बेटे से बढ़कर है। मुस्कान की शुरू से ही खेती के काम को लेकर रूचि है। दादी गुड्डी ने कहा कि आज छोरी छोरे से कम नहीं है। आज उनकी पोती पर पूरे परिवार को गर्व है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा

