हिसार : ओशो ध्यान उपवन में हुआ प्रेम व सृजनात्मकता पर आधारित ध्यान सत्र
प्रेम व सृजनात्मकता से मुनष्य के जीवन में बदलाव संभव : स्वामी संजय
हिसार, 11 अगस्त (हि.स.)। अध्यात्म व सामाजिक सरोकारों से जुड़े ओशो ध्यान उपवन में आयोजित ध्यान सत्र में विभिन्न क्षेत्रों से साधकों ने हिस्सा लिया। प्रेम व सृजनात्मकता पर आधारित इस ध्यान सत्र में ध्यान की विभिन्न विधियों से भी साधकों को अवगत करवाया गया। इसके साथ ही उन्हें ध्यान विधियों का अभ्यास करवाकर अपने भीतर डूबने का एहसास भी करवाया।
ध्यान सत्र के आयोजक स्वामी संजय ने रविवार को बताया कि प्रेम व सृजनात्मकता मनुष्य के जीवन में अविश्वसनीय बदलाव ला सकते हैं। तनावग्रस्त व परेशानियों से घिरा हुआ इंसान प्रेम व सृजनात्मकता को अपनाकर अपना जीवन उल्लासमय बना सकता है। उन्होंने बताया कि इस दौरान साधकों को सतगुरु ओशो के संचित प्रवचन सुनने का भी अवसर मिला। संत ओशो ने प्रेम व सृजनात्मकता पर विस्तृत व्याख्यान देकर जीवन का मर्म समझाया है।
स्वामी संजय ने बताया कि संत ओशो कहते हैं कि जो भी करो उससे प्रेम करो। तुम चाहे कुछ भी कर रहे हो लेकिन ध्यान में रहो। संत ओशो बताते हैं कि सृजनात्मकता का अर्थ है कि तुम जो भी करो, उससे प्रेम करो, उसका आनंद लो, उसका उत्सव मनाओ, मानो यह ईश्वर का उपहार हो। अगर इससे तुम्हारे भीतर कुछ पनपता है, अगर इससे कुछ विकास होता है, यह आध्यात्मिक है, यह सृजनशील है, यह दिव्य है। तुम और ज्यादा दिव्य होते जाते हो जैसे ही तुम ज्यादा सृजनशील होते हो। जब तुम्हारी सृजनशीलता शिखर पर आती है, जब तुम्हारा पूरा जीवन सृजनशील बन जाता है, तुम भगवत्ता में जीते हो। स्वामी संजय ने बताया कि सिरसा रोड पर स्थित ओशो ध्यान उपवन साधकों के हितों के प्रति समर्पित है। यहां आयोजित किए गए ध्यान सत्र के दौरान साधकों को गीत-संगीत के साथ ताल मिलाते हुए झूमने व नृत्य करने का भी अवसर मिला। इस प्रक्रिया से साधकों ने नव ऊर्जा व ताजगी की अनुभूति की।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर / SANJEEV SHARMA
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