सोनीपत: आत्मबोध कर खुशी की अनुभूति करना ही जीवन है: डा. मणिभद्र

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सोनीपत: आत्मबोध कर खुशी की अनुभूति करना ही जीवन है: डा. मणिभद्र


सोनीपत, 22 जुलाई (हि.स.)। नेपाल केसरी डॉक्टर मणिभद्र महाराज ने कहा कि आत्मबोध करें,

जीवन की यही लक्ष्य है, यह अनमोल रत्न जीवन है। भौतिकवादी युग में हम झूठ का जीवन जी रहे हैं, सत्य जानने

की कोशिश कीजिए, सत्य को जानने के लिए आत्मा को जानना आवश्यक है, आत्मा को समझना ही

आत्मबोध है। आत्मबोध कर खुशी की अनुभूति करना ही जीवन है।

सोमवार को मणिभद्र महाराज जैन स्थानक सेक्टर 15 में चातुर्मास

के दौरान नियमित धर्म सभा में मंगलकारी प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित कर रहे थे। उन्होंने

कहा कि सृष्टि में पांच तरह के ज्ञान है जिसमें मति ज्ञान, श्रुति ज्ञान, अवधी ज्ञान,

मन पर्यव ज्ञान एवं केवल ज्ञान। उन्होंने कहा कि श्रवण एक कला है जो हम आज सुनते हैं

वह कल हमारी जिंदगी में काम आता है। उन्होंने कहा कि कई बार इंसान पाप करने के लिए

भी धर्म का सहारा लेता है, परंतु हमारे पुण्य ही पाप में सफलता दिलाते हैं। उन्होंने

कहा कि जो कानों से सुनता है वह श्रोता है और जो आत्मा से सुनता है वह श्रावक है इसलिए

हमें अपने जीवन का कल्याण करने के लिए सच्चा श्रावक बनना है। पुनीत महाराज जी ने भी

श्रद्धालुओं को संबोधित किया।

हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र परवाना / SANJEEV SHARMA

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