दीपावली पर कवियों को खली कवि सतपाल स्नेही की कमी

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दीपावली पर कवियों को खली कवि सतपाल स्नेही की कमी


गीतकार कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने सांझा की स्नेही की यादें

झज्जर, 11 नवंबर (हि.स.)। पांच दिवसीय त्योहार दीपावली का इस बार हर समुदाय के लोग भरपूर आनंद ले रहे हैं। चारों ओर रौनक छाई है। लेकिन हरियाणा व दिल्ली के कवियों में इस त्योहार के मौके पर निराशा रही। उन्हें प्रदेश के मधुर कंठ वाले कवि व गीतकार रहे सतपाल स्नेही की कमी खली। स्नेही का पिछले साल 11 नवंबर को ही निधन हो गया था। बहादुरगढ़ में हर साल दीपावली के मौके पर कलमवीर विचार मंच मनोरंजक साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन करता था, लेकिन इस बार मंच के संयोजक निरुत्साहित नजर आए।

अपनी पुस्तकों .कोई पथ भूली किरण. और .इम्तिहान बाकी है. की वजह से भी साहित्य प्रेमियों के प्रेमी रहे सतपाल स्नेही की यादें गीतकार कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने सांझा की। विद्यार्थी ने बताया कि बचपन से ही गायन में विशेष रुचि लेते रहे स्नेही सहकर्मियों की विदाई पार्टियों में विदाई गीत गाते-गाते कब स्वयं भी गीतकार बन गए, उन्हें भी पता नहीं चला। वर्ष 1975 में अपने फार्मासिस्ट मित्र रमेश कोचर की विदाई पार्टी में पहली बार उन्होंने अपनी मौलिक रचना पढ़ी - चला जा तू ऐ जाने वाले चला जा, मगर याद भी अपनी दिल से लिए जा...। पुरसोज तरन्नुम में पढ़ी गई उनकी इस रचना को मिली भरपूर दाद ने उन्हें और भी अच्छा लिखने की प्रेरणा दी।

परिणामस्वरूप कुछ ऐसी बातें जो वह चाहकर भी किसी को कह नहीं पाते थे, शब्दों में ढलकर गीतों व गजलों का रूप लेने लगीं। आकाशवाणी रोहतक से स्नेही का पहला कार्यक्रम सितंबर 1981 में व दूरदर्शन पर जून 1985 में प्रसारित हुआ था। दिल्ली, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के काव्य मंचों पर अपनी धाक जमा चुके स्नेही दिवंगत गीतकार रामावतार त्यागी व समकालीन गजलकार ज्ञान प्रकाश विवेक से काफी प्रभावित रहे। लगभग तीन दशक पूर्व लिखी गई उनकी गजल .दर्द इतना कि जिन्दगी मुश्किल... आज भी उनके प्रशंसकों की पहली पसंद बनी हुई है। उनका एक गीत .फिर धरती की पावनता के गीत लिखूंगा, गाऊंगा मैं... भी श्रोताओं में काफी लोकप्रिय है। उनका गजल संग्रह .इम्तिहान बाकी है. उनके निधन के बाद प्रकाशित हुआ है।

वर्ष 1954 में जिला सोनीपत के ताजपुर में जन्मे और जिला झज्जर, रोहतक व फरीदाबाद के अनेक सरकारी चिकित्सा संस्थानों में लैब टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत रहे सतपाल शर्मा देश के साहित्य प्रेमियों में सतपाल स्नेही के रूप में विख्यात रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/शील

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