सिरसा: कपास फसल को सुंडी से बचाव व कीड़ों के एकीकृत प्रबंधन पर हुयी कार्यशाला
सिरसा,14 सितंबर (हि.स.)। कपास फसल में गुलाबी सुण्डी, सफेद मक्खी, कपास के कीड़ों का एकीकृत प्रबन्ध व अन्य रोगों के नियंत्रण बारे कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता संयुक्त निदेशक कपास रामप्रताप सिहाग ने की। कार्यशाला में बी.टी बीज कम्पनियों के प्रतिनिधि, बीज डीलरों सहित कृषि विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया।
संयुक्त निदेशक (कपास) ने उपस्थित प्रतिनिधयों व अधिकारियों को कहा कि उच्च गुणवत्ता के बीज व कीटनाशक समय पर किसानों को उपलब्ध करवाऐं ताकि किसान को गुलाबी सुण्डी, सफेद मक्खी. कपास के कीड़ों की पूर्ण रोकथाम में सहायता मिल सके। उन्होंने कहा कि वे जमीनी स्तर पर किसानों को आने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करें।
डा. एस.के सैन ने बताया कि कपास फसल में उखेड़ा की सम्भावना रहती है, इसलिए किसान हल्की सिंचाई में 10 किलो यूरिया व कॉपर आक्सिकलॉराईड 500 ग्राम का इस्तेमाल करें। डा. अमरप्रीत द्वारा सलाह दी गई कि कपास फसल में फूल डोडी गिरने पर प्लेनोफिक्स का स्पैं करें। डा. एस.के वर्मा द्वारा सुझाव दिया गया कि इस समय कपास फसल में फुल व टिंडे बन रहे हैं, इस कारण कपास फसल को अधिक पोषक तत्तवों की आवश्यकता होती हैं, इसलिए किसान भाई एन.पी.के 13:0:45 के दो स्प्रे जरूर करें व 15 से 20 किलो यूरिया खाद जरूर डालें।
कार्यशाला में वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. ऋ षि, डा. एस.के वर्मा, डा. एस.के. सैन व डा. अमरप्रीत द्वारा उपस्थित प्रतिनिधियों को गुलाबी सुण्डी की रोकथाम बारे विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। कार्यशालय में डा. राकेश कूट, एसएमएस (टी एण्ड आई). डा. जोगिन्द्र राणा, तकनीकी सहायक तथा डा. दिनेश, तकनीकी सहायक आदि अधिकारी मौजूद थे ।
हिन्दुस्थान समाचार / रमेश डाबर
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