कैथल बार ने नई राजधानी व अलग हाईकोर्ट की मांग का किया समर्थन

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कैथल बार ने नई राजधानी व अलग हाईकोर्ट की मांग का किया समर्थन


कैथल बार ने नई राजधानी व अलग हाईकोर्ट की मांग का किया समर्थन


-बार कौंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने किया सेमीनार को संबोधित

कहा-चंडीगढ़ के साथ नहीं मिलती हरियाणा की संस्कृति

अलग हाईकोर्ट व राजधानी बनने से हरियाणा में खुलेंगे रोजगार के नए अवसर

कैथल, 28 फरवरी (हि.स.)। हरियाणा बनाओ अभियान के तहत बुधवार को जिला बार एसोसिएशन में एक सेमीनार का आयोजन किया। जिसमें बार एसोसिएशन ने हरियाणा के लिए अलग हाईकोर्ट एवं नई राजधानी बनाए जाने की मुहीम का समर्थन किया।

बार एसोसिएशन में बार कौंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य प्रताप सिंह, बार काउंसिल पंजाब और हरियाणा के पूर्व चेयरमैन व हरियाणा बनाओ अभियान के संयोजक रणधीर सिंह बधरान, सह-संयोजक हरियाणा हरियाणा बनाओ अभियान यशपाल सिंह राणा, हरियाणा गवर्नमेंट्स एडवोकेट्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार बैरागी व अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं का बार एसोसिएशन कैथल के प्रधान बलजिंदर सिंह मलिक, उप-प्रधान विनय गर्ग, महासचिव गौरव वधवा, सहसचिव सुमन ठाकुर, कोषाध्यक्ष इंद्रजीत माटा ने स्वागत किया। सभी प्रतिभागियों ने हरियाणा की नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय बनाने की मांग उठाने का प्रस्ताव पारित किया।

चंडीगढ़ के साथ हरियाणा की संस्कृति मेल नहीं खाती

सेमीनार के बाद जिमखाना क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रताप सिंह ने कहा कि आज का हरियाणा अपनी राजधानी से वंचित है। हरियाणा के लोगों के पास अपनी विरासत को संरक्षित करने और उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए कोई केंद्रीय स्थान नहीं है। हरियाणा अस्तित्व में तो आया, लेकिन उसकी समृद्ध पहचान विकसित नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ के साथ हरियाणा की संस्कृति मेल भी नहीं खाती। हाईकोर्ट परिसर दो राज्यों के वकीलों, कर्मचारियों व वहां जाने वाले लोगों के लिए काफी छोटा है।

भर्तियों के लिए भी दो राज्यों से स्वीकृति लेने में देरी हो जाती है। जिस कारण जज व अन्य पद खाली पड़े हैं। यदि हरियाणा की किसी अन्य जगह अलग राजधानी बनती है तो निश्चित तौर पर हरियाणा के युवाओं को रोजगार मिलेगा और प्रदेश के विकास में सहायता मिलेगी। हरियाणा जब बना था, तब संभवत: हरियाणा अलग हाईकोर्ट बनाने में सक्षम नहीं था, लेकिन आज हरियाणा अपना हाईकोर्ट बनाने के लिए सक्षम है तो क्यों नहीं लोगों को उनका हक दिया जा रहा। जब मणिपुर जैसे छोटे राज्य का अपना अलग हाईकोर्ट है। राजस्थान जैसे राज्य में हाईकोर्ट की दो बैंच हैं। ऐसे में हरियाणा के पास अपनी कोई बैंच तक नहीं है। इस अवसर पर बार एसोसिएशन के पूर्व उप प्रधान सुरेंद्र मलिक, वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद खुरानिया व अन्य अधिवक्ता उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/ नरेश/संजीव

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