हिसार: नवाचार प्रगति की आधारशिला, बौद्धिक संपदा संरक्षण नवाचार का संरक्षक: प्रो. विनोद वर्मा
लुवास में मनाया गया विश्व बौद्धिक संपदा दिवस
हिसार, 26 अप्रैल (हि.स.)। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद कुमार वर्मा ने कहा है कि नवाचार प्रगति की आधारशिला है और बौद्धिक संपदा संरक्षण नवाचार का संरक्षक है। आइए हम रचनात्मकता की संस्कृति को बढ़ावा देने और बौद्धिक श्रम के फल की रक्षा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करें। वे शुक्रवार को विश्वविद्यालय में विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. गुलशन नारंग सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
मानव संसाधन एवं प्रबंधन निदेशक डॉ. राजेश खुराना ने विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उपस्थित लोगों को एक ज्ञानवर्धक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम, नवाचार और ज्ञान प्रसार के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है, बौद्धिक संपदा अधिकार प्रबंधन और व्यावसायीकरण इकाई एवं मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय, लुवास, हिसार के सहयोग से, मेंटर-मेंटी योजना के तहत संस्थागत नवाचार परिषद द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
इस कार्यक्रम में व्याख्यान के लिए जेसी बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद से चार विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया। चार प्रतिष्ठित वक्ताओं ने बौद्धिक संपदा अधिकार, उद्यमिता, वित्त, विपणन, नवाचार और व्यवसाय विकास के लिए नई प्रौद्योगिकियों पर अपनी विशेषज्ञता साझा की। इस एक दिवसीय कार्यक्रम में लुवास के कुल 107 छात्र और संकाय शामिल हुए।
इस आयोजन का एक उल्लेखनीय आकर्षण, इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. विनोद कुमार वर्मा व अन्य सम्मानित अतिथियों द्वारा डॉ. एनके कक्कड़, डॉ. मीनाक्षी विरमानी और डॉ. विशाल शर्मा द्वारा संपादित और आईएसबीएन नंबर के साथ प्रकाशित लुवास इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टीज फॉर कमर्शियल डाइजेशन मूविंग फॉरवर्ड नामक पुस्तक का विमोचन भी किया। डॉ. स्वाति दहिया, समन्वयक अनुसंधान, लुवास और डॉ. गौरव गुप्ता, सहायक प्रोफेसर, पशु चिकित्सा फार्माकोलॉजी और टॉक्सिकोलॉजी, ने इस आयोजन के लिए समन्वयकों के रूप में सराहनीय कार्य किया। डॉ. नरेश कक्कड़, सलाहकार संकाय, पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी और सदस्य आईआईसी ने सत्र की अध्यक्षता की, जबकि डॉ. शालिनी अरोड़ा, सहायक प्रोफेसर, डेयरी प्रौद्योगिकी, ने प्रतिवेदक की भूमिका निभाई। डॉ. रचना और डॉ. शालिनी शर्मा ने कार्यक्रम का प्रबंधन किया।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव
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